युवा किसान नेता रवि आज़ाद पर दर्ज FIR: सवालों के घेरे में पुलिस कार्रवाई, समर्थकों ने उठाए दबाव के आरोप
भिवानी के बहल थाना क्षेत्र में दर्ज गंभीर धाराओं वाली FIR पर राजनीति गरमाई, पुलिस जांच जारी—रवि आज़ाद के समर्थकों ने कार्रवाई को बताया साजिश
हरियाणा के भिवानी में युवा किसान नेता रवि आज़ाद पर दर्ज FIR को लेकर विवाद तेज। समर्थकों ने पुलिस पर दबाव में कार्रवाई का आरोप लगाया, जबकि पुलिस का कहना है कि जांच निष्पक्ष और कानून के अनुसार हो रही है।
भिवानी ब्यूरो : THE ASIA PRIME / TAP News
हरियाणा के भिवानी जिले के बहल थाना क्षेत्र में युवा किसान नेता रवि आज़ाद के खिलाफ दर्ज FIR ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में हलचल मचा दी है। पुलिस ने नाबालिग दलित लड़की से छेड़छाड़, जबरन अपहरण के प्रयास सहित SC/ST एक्ट, पोक्सो, जुवेनाइल एक्ट और BNS की विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया है। शिकायत नाबालिग के पिता की ओर से दी गई, जिसके आधार पर पुलिस ने केस पंजीकृत कर जांच शुरू की है।
मामले के सामने आते ही रवि आज़ाद के समर्थकों और कुछ किसान संगठनों ने पुलिस कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए इसे दबाव में की गई कार्रवाई करार दिया है। समर्थकों का कहना है कि रवि आज़ाद एक युवा किसान नेता हैं और किसानों की आवाज़ मुखरता से उठाते रहे हैं, इसलिए उन्हें राजनीतिक साजिश के तहत फंसाया जा रहा है। सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं।
समर्थकों का आरोप है कि जिस तेजी से गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया गया, उससे संदेह पैदा होता है कि किसी प्रभावशाली दबाव में कार्रवाई हुई है। वे यह भी कह रहे हैं कि “ऐसा लगता है जैसे तानाशाही चरम पर है” और एक जनआंदोलन से जुड़े नेता की छवि और ज़िंदगी बर्बाद करने की कोशिश की जा रही है। समर्थकों ने निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए कहा कि सच्चाई सामने आनी चाहिए।
वहीं, पुलिस प्रशासन का कहना है कि FIR शिकायत के आधार पर दर्ज की गई है और कानून के अनुसार जांच चल रही है। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, मामले में सभी पहलुओं की जांच की जा रही है, बयान दर्ज किए जा रहे हैं और साक्ष्यों के आधार पर ही आगे की कार्रवाई होगी। पुलिस ने यह भी स्पष्ट किया है कि जांच पूरी होने से पहले किसी नतीजे पर पहुंचना उचित नहीं है।
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कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि SC/ST एक्ट और पोक्सो जैसे कानूनों में शिकायत मिलने पर पुलिस का FIR दर्ज करना अनिवार्य होता है, लेकिन साथ ही निष्पक्ष और पारदर्शी जांच भी उतनी ही आवश्यक है। किसी भी आरोपी को अदालत में दोष सिद्ध होने तक निर्दोष माना जाता है—यह कानून का मूल सिद्धांत है।
फिलहाल, यह मामला जांच के अधीन है। एक तरफ जहां पीड़ित पक्ष न्याय की मांग कर रहा है, वहीं दूसरी ओर रवि आज़ाद के समर्थक दबाव और साजिश के आरोप लगाते हुए निष्पक्षता की मांग कर रहे हैं। आने वाले दिनों में पुलिस जांच और न्यायिक प्रक्रिया से ही यह स्पष्ट होगा कि आरोपों की सच्चाई क्या है और जिम्मेदारी किसकी बनती है