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24 साल पुराने रेलूराम पूनिया हत्याकांड में बड़ा फैसला: बेटी सोनिया और दामाद संजीव जल्द होंगे रिहा, हाईकोर्ट ने मंजूरी दी

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने समय पूर्व रिहाई याचिका मंजूर की ● जस्टिस सूर्या प्रताप सिंह की बेंच का अहम निर्णय ● 24 साल पुराने केस में आया बड़ा मोड़

हिसार के पूर्व विधायक रेलूराम पूनिया हत्याकांड में महत्त्वपूर्ण फैसला। हाईकोर्ट ने बेटी सोनिया और दामाद संजीव की समय से पहले रिहाई मंजूर की।

चंडीगढ़ ब्यूरो : THE ASIA PRIME / TAP News

हिसार। हरियाणा की राजनीति और न्यायिक हलकों में लंबे समय से चर्चित पूर्व विधायक रेलूराम पूनिया हत्याकांड में आज एक बड़ा और अहम मोड़ आया है। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने इस मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे बेटी सोनिया और दामाद संजीव कुमार की समय से पूर्व रिहाई याचिका को मंजूर कर लिया है। अदालत के इस फैसले के बाद दोनों अब जेल से बाहर आ सकेंगे।

यह आदेश जस्टिस सूर्या प्रताप सिंह की बेंच ने सुनाया, जिन्होंने दोनों की ओर से दायर याचिका में प्रस्तुत तर्कों और जेल प्रशासन की रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद यह निर्णय लिया। 24 साल बाद केस का यह चरण पूनिया परिवार के लिए एक नई बहस को जन्म दे सकता है।

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रेलू राम पुनिया हत्यकांड का पूरा  क्या था मामला?

यह केस वर्ष 2000 से राजनीतिक और कानूनी दोनों मोर्चों पर चर्चा में रहा है। पूर्व विधायक रेलूराम पूनिया की हत्या को लेकर आरोप उनकी बेटी सोनिया और दामाद संजीव कुमार पर लगे थे। मामले में गिरफ्तारी, गवाही और जांच के कई दौर चले और बाद में निचली अदालत ने दोनों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।

सजा के बाद कई बार पुनर्विचार याचिकाएं और राहत की मांगें की गईं, लेकिन वर्षों तक कोई राहत नहीं मिली। हालांकि जेल में अच्छे आचरण और कानून में उपलब्ध प्रावधानों के तहत दोनों ने समय से पहले रिहाई की मांग की थी।

इस कांड के मुजरिमों की समय से पहले रिहाई क्यों मिली?

हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कई पहलुओं पर विचार किया—

जेल प्रशासन की रिपोर्ट

कैदियों के व्यवहार का रिकॉर्ड

मामला लंबा और सजा का अधिकांश हिस्सा पूरा होना

सरकार की नीति के तहत पात्रता

बेंच ने माना कि दोनों कैदी रिहाई की नीति के दायरे में आते हैं और जेल प्रशासन से आपत्तिजनक कोई रिपोर्ट नहीं मिली।

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इन रिहाई से परिवार और क्षेत्र में हलचल

फैसले के सामने आते ही हिसार और आसपास के राजनीतिक हलकों में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया। रेलूराम पूनिया का यह मामला दो दशक तक सुर्खियों में रहा और अब रिहाई के आदेश ने फिर इसे चर्चा का मुद्दा बना दिया है।

कई स्थानीय लोग इसे न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा मान रहे हैं, जबकि कुछ लोग इस केस की संवेदनशीलता को लेकर सवाल भी उठा रहे हैं। फिलहाल आधिकारिक तौर पर प्रशासन या परिवार की प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।

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अगली प्रक्रिया क्या होगी?

हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब जेल प्रशासन औपचारिक प्रक्रिया पूरी करेगा। इसके बाद दोनों को जेल से रिहा किया जाएगा।
कानूनी जानकारों के अनुसार,

रिहाई आदेश के बाद निगरानी शर्तें भी लग सकती हैं

रिहाई का अर्थ दोषमुक्त होना नहीं है, बल्कि नीति के तहत राहत है

इस रिहाई से राजनीतिक और सामाजिक असर

रेलूराम पूनिया हिसार क्षेत्र के प्रभावशाली नेता रहे हैं। उनकी हत्या ने वर्षों पहले स्थानीय राजनीति को झकझोर दिया था। अब उनके ही परिवार के सदस्यों की रिहाई फिर से राजनीतिक बयानबाजी को हवा दे सकती है।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस फैसले के बाद हरियाणा के कई पुराने मामलों में भी कैदी समयपूर्व रिहाई की मांगों को लेकर नई उम्मीदें लगा सकते हैं।

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