पुतिन-भारत दौरे के बाद: मोदी-पुतिन ने 2030 तक $100 बिलियन ट्रेड, ऊर्जा, रक्षा व नागरिक सहयोग पर बड़े समझौते किए
इंडिया-रूस 23वें समिट में 16+ एमओयू, ऊर्जा-ईंधन, रक्षा-लॉजिक सपोर्ट, खाद्य-फर्टिलाइज़र से लेकर संस्कृति तक — द्विपक्षीय रिश्तों को नई ऊँचाई

मोदी और पुतिन की 4–5 दिसंबर 2025 की शिखर बैठक में 2030 तक $100 बिलियन व्यापार, ऊर्जा एवं रक्षा समझौते, रक्षा-लॉजिक सपोर्ट, FTA व नए क्षेत्रों में साझेदारी तय हुई।
Delhi ब्यूरो : THE ASIA PRIME / TAP News
🇮🇳🇷🇺 भारत-रूस: नए युग की शुरुआत
4–5 दिसंबर 2025 को आयोजित 23वें वार्षिक India–Russia Annual Summit में, मोदी और पुतिन दोनों देशों ने मज़बूत साझेदारी को फिर से मजबूत किया। इस शिखर सम्मेलन में कुल 16 से अधिक समझौते (MoUs/Agreements) हुए, और कई बड़े ऐलान हुए — जो सिर्फ कूटनीति नहीं, बल्कि आम नागरिक, उद्योग, ऊर्जा, रक्षा और सामाजिक क्षेत्रों को प्रभावित करेंगे।
भारत और रूस ने कई प्रमुख समझौतों व घोषणाएँ की
आर्थिक व व्यापारिक साझेदारी – Vision 2030
भारत और रूस ने एक साझा Economic Cooperation Programme till 2030 पर सहमति जताई है। इसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार को 2030 तक USD 100 बिलियन तक ले जाना है — जो 2024-25 में लगभग USD 68.7 बिलियन था।
इसके लिए दोनों देशों ने ईरुशियन आर्थिक संगठन (Eurasian Economic Union) के साथ एक संभावित Free Trade Agreement (FTA) पर तेजी से काम करने का वादा किया है। इससे ट्रेड में नए रास्ते खुलेंगे और पारंपरिक डील से आगे की साझेदारी बनेगी।
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ऊर्जा और ईंधन सुरक्षा योजना
रूस ने भारत को अनवरत (uninterrupted) ईंधन — खासकर कच्चे तेल और गैस — की आपूर्ति जारी रखने का भरोसा दिया है, जिससे भारत की ऊर्जा सुरक्षा मजबूत होगी।
इसके अलावा, दोनों देश नाभिकीय ऊर्जा (civil nuclear energy), क्रिटिकल माइनरल्स, और अन्य ऊर्जा संसाधनों में सहयोग बढ़ाने पर सहमत हुए।
रक्षा एवं लॉजिक सपोर्ट — RELOS समझौता
रूस की संसद (State Duma) ने एक महत्वपूर्ण सैन्य लॉजिक सपोर्ट समझौता, Reciprocal Exchange of Logistics Support (RELOS) को मंजूरी दी। इसके तहत दोनों देशों की सेनाएँ — वायु, थल और नौसेना — अपने-अपने देश के आधारभूत सैन्य सुविधाओं, एयरस्पेस, बंदरगाहों, ईंधन, स्पेयर पार्ट्स आदि का साझा उपयोग कर सकेंगी। इससे भारतीय सेना की अंतरराष्ट्रीय तैनाती और परिचालन क्षमता बढ़ेगी।
इसके साथ ही रक्षा सहयोग के क्षेत्र में संयुक्त उत्पादन, तकनीकी साझेदारी और भविष्य के रक्षा प्लेटफार्मों पर सहयोग की नींव डाली गई।
उद्योग, कृषि, स्वास्थ्य, शिपिंग, लॉबर मोबिलिटी और अन्य क्षेत्रों में समझौते
दोनों देशों ने उर्वरक (fertilizers), खाद्य-सुरक्षा (food-safety), शिपिंग / समुद्री लॉजिस्टिक्स, कृषि, मछलीपालन, स्वास्थ्य, मीडिया एवं सांस्कृतिक आदान-प्रदान (cultural exchange) जैसे गैर-परंपरागत क्षेत्रों में भी समझौते किए।
श्रम और कुशल श्रमिकों की आवाज़ाही (labour mobility) पर भी सहमति बनी है, जिससे भारत के युवाओं को रूस में काम-काज के अवसर मिल सकेंगे और दोनों देशों के उद्योगों को फायदा होगा।
क्या रहा पुतिन का भारत आगमन और शिखर सम्मेलन खास?
यह पुतिन की यूक्रेन युद्ध के बाद पहली भारत यात्रा है। इसलिए यह दौरा सिर्फ पारंपरिक राजनयिक मुलाकात नहीं, बल्कि रणनीतिक प्रणालियों और नई साझेदारी को फिर से स्थापित करने जैसा था।
दोनों नेताओं ने अपनी दोस्ती और भरोसे को सार्वजनिक रूप से दोहराया — इस रिश्ते को “समय की कसौटी पर खरा” बताया गया।
पीएम मोदी ने स्वागत समारोह में पुतिन को व्यक्तिगत रात्रि-भोज दिया, जिससे द्विपक्षीय वार्ताओं को गर्मजोशी भरा पल मिला।
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मतलब क्या है आम भारतीयों के लिए?
ईंधन, ऊर्जा और तेल की आपूर्ति स्थिर रहने से भारत में डीज़ल-पेट्रोल-गैस की कीमतों में स्थिरता हासिल हो सकती है — जो रोजमर्रा की ज़िन्दगी और उद्योगों के लिए एक राहत है।
कृषि, खाद्य सुरक्षा, उर्वरक, मछलीपालन व उद्योगों में समझौते से किसान, श्रमिक, उत्पादन-क्षेत्र और रोजगार को फायदा मिलने की संभावना है।
रक्षा सहयोग व लॉजिस्टिक सपोर्ट से भारत की विदेश नीति व राष्ट्रीय सुरक्षा मजबूती पाएगी।
ट्रेड और आर्थिक साझेदारी बढ़ने से रोजगार, निवेश, व्यापार व आर्थिक विकास को नई गति मिलेगी।