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भारत दौरे से पहले पुतिन की कड़ी सुरक्षा का खुलासा: मल-मूत्र तक रूस भेजा जाता है, मोबाइल बाथरूम से लेकर कमांड प्लेन तक पूरी तैयारी

मोबाइल बाथरूम, स्पेशल लैब टेस्टेड खाना, डीएनए सुरक्षित रखने के लिए सील्ड बैग — पुतिन की सुरक्षा व्यवस्था दुनिया भर में सबसे गुप्त और सख्त मानी जाती है।

भारत दौरे पर आ रहे रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की सुरक्षा दुनिया में सबसे कड़ी मानी जाती है। उनका खाना, बाथरूम, प्लेन और सुरक्षा टीम—सब रूस से आता है।

DELHI ब्यूरो: THE ASIA PRIME / TAP News

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 4 दिसंबर को भारत की दो दिन की यात्रा पर आ रहे हैं। उनकी सुरक्षा दुनिया में सबसे कड़ी और अनोखी मानी जाती है। इस दौरे की तैयारी हफ्तों पहले शुरू हो चुकी है। सुरक्षा एजेंसियाँ इतना ध्यान रखती हैं कि भारत में पुतिन जो भी खाना खाएँगे, उसे रूस से लाई गई लैब में टेस्ट किया जाएगा।

इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि पुतिन का मल और मूत्र भी सील बंद बैग में पैक करके सीधे मॉस्को भेजा जाता है, ताकि किसी भी तरह का डीएनए लीक न हो सके। उनके कमरे में उपयोग होने वाला टॉयलेट, साबुन, शैंपू, यहां तक कि टेलीफोन बूथ तक रूस से ही लाया जाता है।

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एसबीपी और रूसी एजेंसियों की जाँच

राष्ट्रपति पुतिन की सुरक्षा की जिम्मेदारी एसबीपी यानी राष्ट्रपति सुरक्षा सेवा के पास है। यह टीम यात्रा से कम से कम एक महीने पहले उस देश की क्राइम रेट, आतंकी गतिविधियाँ, प्रोटेस्ट और धार्मिक माहौल का अध्ययन करती है।

यात्रा से पहले रूस की फेडरल सिक्योरिटी सर्विस (FSB) और फॉरेन इंटेलिजेंस सर्विस (SVR) की संयुक्त टीम भारत आती है और उस होटल को चेक करती है जहाँ पुतिन ठहरेंगे। होटल के कमरे से खाने-पीने और व्यक्तिगत उपयोग का हर सामान हटाकर, रूस से लाए गए सामान रखे जाते हैं।

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मोबाइल बाथरूम और टेलीफोन बूथ

पुतिन कभी होटल का बाथरूम इस्तेमाल नहीं करते। उनकी टीम रूस से एक खास मोबाइल बाथरूम लेकर आती है। कमरे में सुरक्षित संचार के लिए एक प्राइवेट टेलीफोन बूथ भी सेट किया जाता है, क्योंकि पुतिन मोबाइल फोन बिल्कुल नहीं इस्तेमाल करते।

100 लोगों का स्टाफ और बैकअप प्लेन

पुतिन के साथ हमेशा 100 से अधिक लोगों की टीम रहती है। इसमें निजी सुरक्षा गार्ड, एसबीपी, एफएसओ टीम, डॉक्टर, प्रशासनिक अधिकारी और प्रेस शामिल होते हैं। किसी भी यात्रा से पहले उनके अंगरक्षक आज भी दो हफ्ते क्वारंटाइन होते हैं।

उनके साथ हमेशा एक नहीं, बल्कि दो बैकअप प्लेन भी उड़ान भरते हैं। अगर किसी विमान में तकनीकी समस्या आए, तो तुरंत दूसरे विमान से यात्रा जारी रखी जाती है। किसी भी देश के तकनीशियन को उनके प्लेन को छूने की अनुमति नहीं होती।

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फ्लाइंग क्रेमलिन—कमांड प्लेन

पुतिन जिस विमान से यात्रा करते हैं, वह Illyushin IL-96-300PU है, जिसे “फ्लाइंग क्रेमलिन” कहा जाता है। PU का मतलब है—कमांड पोस्ट।

यह प्लेन सिर्फ यात्रा के लिए नहीं, बल्कि हवा से ही न्यूक्लियर कमांड तक देने में सक्षम है। विमान में—

एडवांस कम्युनिकेशन सिस्टम

मीटिंग रूम

बेडरूम

जिम

मेडिकल रूम

गोल्ड-प्लेटेड इंटीरियर

सब शामिल है। यह एक बार में 11,000 किमी की उड़ान भर सकता है और हवा में ही रीफ्यूल हो सकता है। पिछली यात्राओं में 4 सुखोई-35 लड़ाकू विमान भी पुतिन के विमान को एस्कॉर्ट कर चुके हैं।

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भारत यात्रा को लेकर खास तैयारी

4 दिसंबर के भारत दौरे को लेकर सुरक्षा एजेंसियाँ पूरी तरह सतर्क हैं। पुतिन की ऑरस सीनेट कार पहले ही एयरलिफ्ट होकर भारत पहुँच चुकी है। होटल रूम से लेकर खानपान तक हर आइटम रूस के सुरक्षा मानकों पर जांचा जा रहा है।

पुतिन की सुरक्षा को दुनिया में सबसे कड़ी माना जाता है, और इस बार भारत यात्रा में भी वही हाई-प्रोटोकॉल लागू होगा।

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