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हिसार: बेड़ियों में परेड करायी गईं—दलजीत सिहाग के 61 केस और उन पर उठते सवाल

हिसार/हांसी: बेड़ियों में परेड, दलजीत सिहाग के केस और उठते सवाल

हांसी में पुलिस ने दलजीत सिहाग को बेड़ियों में घुमाया; उस पर 61 आपराधिक मामले हैं। परिवार ओर कुछ सामाजिक लोग कहते है—वो समाजसेवी, राजनीति व सोशल मीडिया के कारण निशाना।

रिपोर्ट — हिसार : THE ASIA PRIME

हिसार/हांसी, 21 नवंबर। हरियाणा पुलिस ने हाल ही में गांव सिसाय निवासी दलजीत सिहाग को झज्जर से रिमांड पर लेकर हांसी के विभिन्न बाजारों में बेड़ियों में पैदल घुमाया। पुलिस के अनुसार सिहाग पर हत्या, हत्या के प्रयास, गिरफ्तारी से बचने, और फिरौती जैसे करीब 61 आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं और यह कार्रवाई DGP के निर्देश पर चलाये जा रहे विशेष अभियान के तहत की गई।

पुलिस ने यह सार्वजनिक प्रदर्शन इसलिए कराया कि स्थानीय लोगों में “अपराधियों की असलियत” उजागर हो और समाज में सुरक्षा का भरोसा लौटे। स्थानीय थाने ने बताया कि सिहाग को कोर्ट में पेश करने के बाद बाजारों में पैदल परेड कराई गयी—जिसे कुछ लोगों ने स्वागत और कुछ ने निंदात्मक रूप में देखा।

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पृष्ठभूमि — मुकदमे और सज़ाएँ
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार दलजीत सिहाग के खिलाफ दर्ज मामलों की संख्या दहाईयों में है; कुछ रिपोर्टें इसे 61 के आसपास दर्शाती हैं। पिछले वर्षों में उस पर पहले से दर्ज संगीन आरोपों की भी जानकारी मिलती है, और 2019 में एक हत्याकांड (जिसे कई रिपोर्टों में जाट आरक्षण आंदोलन से जोड़कर देखा गया) में सजा सम्बन्धी उल्लेख मिलता है। मीडिया ने यह भी लिखा कि सिहाग झज्जर की जेल में बंद है।

DGP का रुख और सोशल-मीडिया पोस्ट
हरियाणा के DGP ने कुछ दिन पहले सोशल मीडिया पर वायरल हुई तस्वीरों और पोस्टों को लेकर सख्ती दिखाई। DGP के आक्रोश के बाद पुलिस ने सोशल-मीडिया पर सिहाग के पेज चलाने वाले व्यक्ति के खिलाफ FIR दर्ज करवाई। DGP ने आरोपियों को लेकर कड़ा रुख अपनाने की बात कही और कुछ मीडिया रिपोर्टों ने DGP के कड़े शब्दों का हवाला दिया।

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परिवार/समर्थकों की दलीलें और सवाल
दूसरी तरफ सिहाग के परिवार और कुछ समर्थक कहते हैं कि वह “समाजसेवी” की तरह भी जाने जाते थे—बेल पर आने पर पेड़ लगाना, ब्लड डोनेशन कैंप इत्यादि का हवाला दिया जाता रहा। समर्थकों का कहना है कि सोशल-मीडिया पर दिखा जाना और समुदाय के कामों को प्रमोट करना ही उसकी छवि बन रहा था, जबकि वास्तविकता जटिल है। परिवार यह भी पूछ रहा है कि यदि वह सच में इतना खलनायक है तो मुकदमों की पूरी सूची और तारीखें सार्वजनिक करके क्यों नहीं दिखाई जाती।

दो महत्वपूर्ण थ्योरी (सम्भाव्य व्याख्याएँ)

1. राजनीतिक/समुदायिक दबाव-थ्योरी: कुछ लोग मानते हैं कि जातिगत या राजनीतिक कारणों से सिहाग को टारगेट किया जा रहा है; जाट-आंदोलन और क्षेत्रीय नाराज़गियों का संदर्भ दिया जाता है।

2. सोशल-मीडिया इफेक्ट थ्योरी: दूसरी थ्योरी यह भी है कि सोशल मीडिया पर खुद को लोकप्रिय दिखाने की प्रवृत्ति ने अधिकारियों को सक्रिय कर दिया—जिससे सख्ती और पब्लिक प्रदर्शन को जायज़ ठहराया गया।

इन थ्योरियों का सत्यापन अभी आवश्यक है — दोनों ही मामले में ठोस दस्तावेज़ और आधिकारिक रिकॉर्ड का हवाला जरूरी है।

क्या कहा जा सकता है ?
फिलहाल उपलब्ध सार्वजनिक रिपोर्ट्स से स्पष्ट है कि पुलिस ने सख्त कार्रवाई की और मीडिया ने आरोपी पर दर्ज मामलों का उल्लेख किया है। साथ ही समाज में समर्थन और आपत्ति दोनों मौजूद हैं।

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अब पुलिस ने दिलजीत सिहाग के बारे में निम्न जानकारी सार्वजनिक करनी चाहिए

(1) पुलिस द्वारा दर्ज मामलों की आधिकारिक सूची सार्वजनिक करना।

(2) मुकदमों की तारीख-विस्तार (FIR नंबर, कोर्ट रिकॉर्ड) सार्वजनिक करना, और

(3) परिवार/वकील का विस्तृत बयान लेना। आम पाठक के लिये सुस्पष्ट और संतुलित निष्कर्ष तभी निकाला जा सकता है जब केस-लिस्ट और कोर्ट रिकॉर्ड सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हों।

इन सब बातों से लोगो मे विश्वास बढ़ेगा और पुलिस की कार्यवाही निष्पक्ष लगेंगी वरना इसप्रकार कि पुलिस कार्यवाही पर सवाल खड़े होना स्वाभाविक है?

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