#LIVE: सूत्रों के हवाले से बड़ी खबर — IPS वाई. पूरन कुमार ने आत्महत्या की, महीनों से ACS Home पर गंभीर आरोपों के चलते विवादों में थे

हरियाणा के वरिष्ठ IPS अधिकारी वाई. पूरन कुमार, जो लंबे समय से राज्य के शीर्ष IAS अधिकारियों पर उत्पीड़न और भेदभाव के आरोप लगा रहे थे, ने चंडीगढ़ के सेक्टर-11 स्थित अपने आवास पर आत्महत्या कर ली। सूत्रों के अनुसार, उन्होंने सर्विस रिवॉल्वर से खुद को गोली मारी। यह घटना प्रशासनिक तंत्र में तनाव और मानसिक दबाव की भयावह सच्चाई को उजागर करती है।
ब्यूरो:THEASIA PRIME /TAP News
चंडीगढ़ के सेक्टर-11 में मंगलवार सुबह उस समय हड़कंप मच गया जब हरियाणा कैडर के वरिष्ठ IPS अधिकारी वाई. पूरन कुमार (Y. Puran Kumar) ने कथित रूप से आत्महत्या कर ली। घटना के बाद चंडीगढ़ पुलिस, फोरेंसिक टीम और वरिष्ठ अधिकारी उनके आवास पर पहुंचे। सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने अपनी सेवा रिवॉल्वर से खुद पर गोली चला ली।
इस घटनास्थल का अधिकारियो ने मुआयना कर के प्रारंभिक जांच सुरु की ।
मौके पर पहुंचे पुलिस अधिकारियों ने दरवाज़ा तोड़कर प्रवेश किया और घटनास्थल से सबूत एकत्र किए। शुरुआती जांच में कोई सुसाइड नोट नहीं मिला, हालांकि अधिकारियों ने मोबाइल और लैपटॉप को जब्त कर लिया है ताकि यह पता लगाया जा सके कि आत्महत्या के पीछे कोई विशेष कारण या संदेश तो नहीं छोड़ा गया।
पूरन कुमार की पत्नी अमनीत P Kumar, जो स्वयं भी एक वरिष्ठ अधिकारी हैं, इस समय विदेश में थीं। वे जापान में एक आधिकारिक डेलीगेशन के साथ थीं।
लंबे समय से कई अधिकारियों के साथ जारी था विवाद
मार्च 2024 की The Buck Stopper रिपोर्ट के अनुसार, वाई. पूरन कुमार ने हरियाणा के अतिरिक्त मुख्य सचिव (ACS) होम टी. वी. एस. एन. प्रसाद पर गंभीर आरोप लगाए थे।
उनका कहना था कि उन्हें जातीय आधार पर अपमानित और परेशान किया गया तथा गैर-कैडर पोस्ट पर तैनात कर भेदभावपूर्ण व्यवहार किया गया।
उन्होंने इस मामले में राज्य के मुख्य सचिव संजय कौशल को पत्र लिखकर SC/ST (Prevention of Atrocities) Act के तहत एफआईआर दर्ज करने की अनुमति मांगी थी।
कुमार ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (NCSC) से भी न्याय की गुहार लगाई थी।
राज्य सरकार ने 8 फरवरी 2024 को तीन सेवानिवृत्त IAS अधिकारियों — राजन गुप्ता, नवराज संधू और पी. के. दास — की एक समिति बनाई थी ताकि उनके आरोपों की जांच की जा सके।
मगर पूरन कुमार ने इस समिति पर भी आपत्ति जताई थी, यह कहते हुए कि समिति में किसी भी अनुसूचित जाति के अधिकारी का प्रतिनिधित्व नहीं है और इस तरह की जांच एससी/एसटी एक्ट के तहत मान्य नहीं।
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के ‘ललिता कुमारी वर्सेस स्टेट ऑफ यूपी’ फैसले का हवाला देते हुए कहा था कि इस तरह के मामलों में कोई प्रारंभिक जांच (preliminary inquiry) एक सप्ताह के अंदर होनी चाहिए।
सरकार में बैठे अधिकारियों की प्रतिक्रिया
राज्य सरकार का कहना था कि यह सिर्फ एक “प्रशासनिक तथ्य-जांच (Administrative Fact Finding)” है, न कि विधिक (FIR based) जांच।
सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बयान दिया था कि “इस रिपोर्ट के तथ्य मिलने के बाद ही आगे की विधिक प्रक्रिया तय की जाएगी।”
IPS वाई पूर्ण कुमार व्यक्तिगत और मानसिक दबाव में थे।
करीबी सूत्रों का कहना है कि वाई. पूरन कुमार पिछले कुछ महीनों से अत्यधिक मानसिक दबाव में थे।
विभिन्न शिकायतों, जांचों और प्रशासनिक टकरावों के चलते वे अकेलापन महसूस कर रहे थे।
हालांकि उनके सहयोगियों का कहना है कि वे हमेशा दृढ़ और निडर अधिकारी रहे, लेकिन प्रणालीगत उपेक्षा और लगातार संघर्ष ने शायद उन्हें मानसिक रूप से तोड़ दिया।
ADGP वाई. पूरन कुमार की आत्महत्या ने एक बार फिर सरकारी प्रणाली में अधिकारियों के मानसिक स्वास्थ्य, जातीय संवेदनशीलता और न्यायिक संरचनाओं की गंभीर कमियों को उजागर किया है।
इस मामले की जांच चंडीगढ़ पुलिस और हरियाणा गृह विभाग की संयुक्त टीम कर रही है।
पुलिस का कहना है कि सभी पहलुओं — पेशेवर, मानसिक, और पारिवारिक — की जांच की जाएगी।