प्रधानमंत्री का बयान – संक्षेप में
प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट कहा:
“हमारे लिए किसानों का कल्याण सर्वोच्च है। हम खेती, डेयरी और मछली पालन सेक्टरों में किसी भी तरह का समझौता नहीं करेंगे, चाहे कितना ही भारी व्यक्तिगत या राजनीतिक मूल्य चुकाना पड़े।”
किसानों की प्रतिक्रिया
1. सशक्त आश्वासन, आत्मविश्वास में इज़ाफा – किसानों ने इस दृढ़ रुख को सराहा है और इसे “देश की भावनाओं के साथ सरकार का जुड़ाव” बताया।
2. खतरे की हर घंटी सुनाई दे रही थी – पिछले दिनों अमेरिका की टैरिफगत बाधाओं, मुक्त व्यापार समझौतों, और डेयरी बाजार में विदेशी प्रवेश की खबरों ने किसानों की चिंताएं बढ़ा दी थीं। पर प्रधानमंत्री का यह संदेश आश्वस्त करता है कि उनके हितों की रक्षा प्राथमिकता होगी।
3. संघठन मजबूत होने की उम्मीद – किसान संगठनों जैसे SKM ने इस कदम पर समर्थन जताया और चेतावनी दी कि विदेशी दबावों को भोगा नहीं जाएगा।
“यह एक आर्थिक घेरा है—लेकिन हम आत्मनिर्भरता के लिए तैयार हैं।”
4. मुद्दा सिर्फ सुरक्षा नहीं, न्याय भी है – किसानों का मानना है कि इस कदम से सिर्फ मौजूदा संकट टलेगा, बल्कि यह उनके आर्थिक सुरक्षा और भविष्य की चिंता को भी संबोधित करता है।
नई दिल्ली, 8 अगस्त 2025 –
धार्मिक, आर्थिक और पारंपरिक रूप से जुड़ी तीन प्रमुख कृषि-आधारित प्रणालियों — खेती, डेयरी, और मछली पालन — को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया बयानों को पूरे देश के किसान सहयोगी एवं किसान संगठनों ने गहरी संतुष्टि और समर्थन के साथ स्वागत किया।
प्रधानमंत्री द्वारा जो आत्म-बलिदान की बात कही गई, उसे किसान महासंघों ने “संवेदना का वास्तविक परिचय” बताया है। लंबे समय से किसानों, डेयरी किसान और मछुआरे इन तीनों सेक्टरों की असुरक्षा को लेकर चिंतित थे—लेकिन आज सरकार ने स्पष्ट कर दिया कि वे देश की प्राथमिकता हैं।
विशेष रूप से, Sanyukt Kisan Morcha (SKM) ने तत्काल कहा:
“यह सिर्फ भाषा नहीं, भावनात्मक सहारा है। हम आर्थिक दबाव नहीं सहेंगे। हमारा आत्मसम्मान पहले।”
इस बयान के बाद देश भर में विश्वास बढ़ा है कि किसानों की आजीविका और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़—जो खेती, डेयरी और मत्स्य उद्योगों पर निर्भर है—वास्तव में सुरक्षित है।