
Breaking: स्वास्थ्य कारण या सियासी दबाव? उपराष्ट्रपति धनखड़ का अचानक इस्तीफा!
नई दिल्ली | The ASIA PRIME Tap News | 22 जुलाई 2025
भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार देर शाम अचानक अपने पद से इस्तीफा देकर देश की राजनीति को चौंका दिया। उन्होंने अपने त्यागपत्र में स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया, लेकिन घटनाक्रम की टाइमिंग और पृष्ठभूमि को देखते हुए राजनीतिक गलियारों में हलचल और साजिशों की चर्चाएं तेज हो गई हैं।
इस्तीफे से पहले क्या हुआ?
सोमवार दोपहर करीब 2 बजे राज्यसभा में धनखड़ ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ विपक्ष द्वारा दिए गए महाभियोग प्रस्ताव को स्वीकार किया।
उसी समय खबर आई कि संसद के 100 से अधिक सांसदों ने महाभियोग के नोटिस पर हस्ताक्षर किए।
शाम 5 बजे कांग्रेस नेताओं जयराम रमेश, प्रमोद तिवारी और अखिलेश सिंह ने धनखड़ से मुलाकात की। सबकुछ सामान्य लगा।
लेकिन रात 7:30 बजे जयराम रमेश से टेलीफोन पर बातचीत के बाद उन्होंने संकेत दिया कि “अब बात कल होगी”।
राजनाथ सिंह के कार्यालय में ‘कोरे कागज’ पर साइन?
बीजेपी सूत्रों ने बताया कि शाम को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के कार्यालय में गतिविधियां अचानक तेज़ हो गईं। अंदरुनी सूत्रों का दावा है कि सांसदों से सफेद कागज़ पर हस्ताक्षर करवाए जा रहे थे। सवाल यह उठता है — क्या कुछ पहले से तय था?
स्वास्थ्य कारण या सियासी मजबूरी?
धनखड़ ने अपने आखिरी संबोधन में सेहत का कोई ज़िक्र नहीं किया। कांग्रेस नेताओं का भी यही कहना है कि उन्हें कोई संकेत नहीं मिला कि उपराष्ट्रपति पद छोड़ने वाले हैं। ऐसे में यह संदेह और गहराता है कि क्या यह “स्वास्थ्य कारण” सिर्फ एक राजनीतिक आवरण है?
विपक्ष की प्रतिक्रिया
अखिलेश सिंह (कांग्रेस सांसद): “धनखड़ जी ने बिल्कुल स्वस्थ लग रहे थे। मुझे यकीन ही नहीं हो रहा।”
जयराम रमेश: “शाम की मीटिंग में उन्होंने मंगलवार 10 बजे BAC की बैठक तय की थी, सब सामान्य लग रहा था।”
क्या है अगला कदम?
अब बड़ा सवाल यह है कि अगला उपराष्ट्रपति कौन होगा? सूत्रों के मुताबिक, BJP खेमे में नीतीश कुमार, रामनाथ ठाकुर, और कुछ अन्य नामों पर विचार हो रहा है। वहीं, INDIA गठबंधन एक साझा उम्मीदवार उतारने की रणनीति बना रहा है।
महाभियोग की भूमिका?
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अगर जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव दोनों सदनों से पास हो जाता, तो यह एक संवैधानिक संकट का कारण बन सकता था — और उपराष्ट्रपति की भूमिका उस संकट में निर्णायक होती। क्या इसी दबाव ने उन्हें पीछे हटने पर मजबूर किया?
निष्कर्ष:
धनखड़ का इस्तीफा भारत की राजनीति में केवल एक प्रशासनिक बदलाव नहीं है, यह कई परतों वाला राजनीतिक घटनाक्रम है — जिसमें संवैधानिक प्रक्रिया, सियासी चालें और भीतरघात सब कुछ शामिल है। अब सबकी निगाहें राष्ट्रपति भवन और संसद पर टिकी हैं — अगला उपराष्ट्रपति कौन होगा?
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