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यमन में भारतीय नर्स को माफ़ी नहीं: मृतक का भाई बोला- मुआवजा नहीं चाहिए, सिर्फ बदला लेंगे”

यमन में भारतीय नर्स को माफ़ी नहीं मिलेगी: मृतक का भाई बोला – मुआवजा नहीं चाहिए, सिर्फ बदला लेंगे

सना (यमन)।
भारत की नर्स निमिषा प्रिया को यमन में एक नागरिक की हत्या के मामले में मौत की सजा सुनाई गई है, लेकिन ब्लड मनी (मुआवजा) देकर सजा से बचने की उम्मीद अब लगभग खत्म हो गई है। मृतक तलाल अब्दो महदी के भाई ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि “हमें मुआवजा नहीं चाहिए, सिर्फ बदला लेना है।”

भाई का एलान: कोई माफी नहीं, चाहे जो हो जाए

CNBC और BBC की रिपोर्ट के अनुसार, महदी के भाई अब्देल फत्तह महदी ने साफ कहा कि –

“हम किसी भी कीमत पर माफ नहीं करेंगे। न ब्लड मनी लेंगे, न ही कोई समझौता होगा।”

 

न्याय या बदला? महदी परिवार ‘क़िसास’ की मांग पर अडिग

BBC अरबी को दिए इंटरव्यू में भी महदी ने कहा –

“हम शरिया कानून के तहत ‘क़िसास’ यानी बदले की मांग करते हैं। निमिषा को मौत की सजा मिलनी चाहिए।”

 

उन्होंने यह भी जोड़ा कि इस केस की लंबी कानूनी लड़ाई ने उनके परिवार को मानसिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से काफी नुकसान पहुँचाया है।

महदी का दावा: भारतीय मीडिया गुमराह कर रहा है

महदी ने सोशल मीडिया पर यह आरोप भी लगाया कि –

“कुछ भारतीय मीडिया निमिषा को पीड़िता बताकर लोगों को गुमराह कर रहे हैं। न तो उसने और न ही उसकी लीगल टीम ने कभी अदालत में यह दावा किया कि उसका पासपोर्ट जब्त किया गया था।”

 

भारत और यमन के धर्मगुरुओं की बातचीत भी विफल

15 जुलाई को भारत के मुफ्ती एपी अबूबकर मुसलियार और यमन के सूफी धर्मगुरु शेख हबीब उमर के बीच इस मामले को लेकर शरिया कानून के तहत बातचीत हुई। लेकिन मृतक के भाई ने किसी भी समझौते से इनकार कर दिया।

भारत के पास यमन में दूतावास नहीं, रियाद से संपर्क

भारत ने 2015 में सना स्थित दूतावास बंद कर दिया था। अब भारत सरकार रियाद में मौजूद अपने राजदूत के जरिए यमन से बातचीत कर रही है।

भारत सरकार की सीमा तय: सुप्रीम कोर्ट को दी जानकारी

भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि उसने अपनी सीमा तक हर प्रयास किया है, लेकिन पीड़ित परिवार की सहमति के बिना कुछ नहीं किया जा सकता। कोर्ट को बताया गया कि ब्लड मनी के तौर पर 10 लाख डॉलर की पेशकश की गई थी, लेकिन परिवार ने यह ठुकरा दिया।

कौन हैं निमिषा प्रिया और क्या है पूरा मामला?

निमिषा प्रिया भारत की रहने वाली एक नर्स हैं, जो यमन में 2017 तक एक मेडिकल क्लिनिक चलाती थीं।
2016 में यमनी नागरिक तलाल महदी ने कथित रूप से उसका शारीरिक, मानसिक और आर्थिक शोषण किया। उसका पासपोर्ट भी जब्त कर लिया गया, जिससे वह देश छोड़ नहीं सकी।

जुलाई 2017 में, निमिषा ने महदी से पासपोर्ट वापस लेने के लिए उसे बेहोश करने का प्रयास किया, लेकिन ओवरडोज़ से उसकी मौत हो गई। आरोप है कि निमिषा ने शव के टुकड़े कर वाटर टैंक में फेंक दिए।

न्यायिक फैसले और सजा की पुष्टि

यमन की सुप्रीम ज्यूडिशियल काउंसिल ने निमिषा को मौत की सजा सुनाई, जिसे यमन के राष्ट्रपति ने 30 दिसंबर 2024 को मंजूरी दी।
16 जुलाई 2025 को यह सजा दी जानी थी, लेकिन अब इसे टाल दिया गया है।

ब्लड मनी के लिए क्राउड फंडिंग, लेकिन सब व्यर्थ

निमिषा की मां और अंतरराष्ट्रीय ‘सेव निमिषा प्रिया एक्शन काउंसिल’ ने ब्लड मनी जुटाने की कई कोशिशें कीं। करीब 8.5 करोड़ रुपये (10 लाख डॉलर) इकट्ठा किए गए, लेकिन महदी परिवार ने इनकार कर दिया।

—क्या निमिषा को अब कोई राहत मिल सकती है?
कानूनी रूप से अब सिर्फ पीड़ित परिवार की माफ़ी ही उसे मौत की सजा से बचा सकती है। लेकिन हालिया बयान के बाद यह संभावना लगभग खत्म मानी जा रही है।

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