हिसार की हालिया घटना ने एक बार फिर समाज को झकझोर दिया है। एक 16 साल के किशोर की मौत, विरोध-प्रदर्शन, और फिर… सीधे पुलिस पर आरोप।

क्या सिर्फ पुलिस ही दोषी है? हादसों में समाज, परिवार और सिस्टम की जवाबदेही कब तय होगी?
विशेष रिपोर्ट – The ASIA PRIME
हिसार की हालिया घटना ने एक बार फिर समाज को झकझोर दिया है।
एक 16 साल के किशोर की मौत, विरोध-प्रदर्शन, और फिर… सीधे पुलिस पर आरोप।
लेकिन क्या हर बार सिर्फ पुलिस ही दोषी है?
क्या उस लड़के के माता-पिता, समाज, और पार्टी आयोजकों की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती?
कड़े सवाल जो अब पूछे जाने चाहिए:
1. माता-पिता कहाँ थे जब उनका नाबालिग बेटा देर रात पार्टी में था?
2. क्या पार्टी आयोजकों ने पुलिस से परमिशन ली थी?
3. क्या DJ की आवाज़ और नशा जैसी चीज़ों पर कोई नियंत्रण था?
4. समाज कब तक सिर्फ तमाशबीन बना रहेगा और पुलिस पर उंगली उठाता रहेगा?
5. जिसने DJ की देर रात तक ऊची आवाज से परेशान हो कर पुलिस बुलाई वो भी दोषी नही है क्या।
क्या हर बार सिर्फ पुलिस ही दोषी है?
जब कोई घटना होती है — जैसे हादसा, आत्महत्या, या झगड़ा — तो भीड़ सीधा पुलिस को गुनहगार बना देती है।
लेकिन ज़रा सोचिए:
अगर पुलिस पार्टी रोकने ना आए, और वहां झगड़ा हो जाए — तब भी दोष पुलिस का ही होगा?
अगर नाबालिग छत से कूदे, तो उसके ऊपर जिम्मेदारी किसकी?
क्या माता-पिता, समाज, और जिस के घर में पार्टी देर रात तक चल रही थीं वो दोषी नही है क्या । इस समाज मे गलत अव्यवस्था फैल रही इससे हम बच सकते है क्या ?
The Asia Prime की निष्पक्ष पड़ताल:
1 हिसार केस में DJ और पार्टी देर रात तक चल रही थी।
2 पुलिस मौके पर तेज आवाज़ की शिकायत के कारण वहाँ पहुंची थी।
3 पुलिस पर पत्थरबाजी भी हुई — ये भी एक अपराध है।
4 लड़के की मौत दुःखद घटना है इसका कोई तो जिमेवार होना चाहिए किस कि गलती थी उसे सजा मिलनी चाहिए — लेकिन यह किसकी लापरवाही से हुई, यह जांच का विषय है।
समाज की भूमिका पर सवाल:
समाज कब यह मानेगा कि सिर्फ पुलिस नहीं, हम सब ज़िम्मेदार हैं?
क्या हर बार पुलिस को बलि का बकरा बनाना ही न्याय है?
“हमें घटना के हर पहलू को देखना चाहिए — तभी सच्चा न्याय होगा।”
The Asia Prime विश्लेषण डेस्क
निष्कर्ष:
पुलिस की जवाबदेही तय हो — जरूर हो।
लेकिन सिर्फ पुलिस ही दोषी — यह सोचना खतरनाक ट्रेंड है।
अगर समाज, परिवार, और सिस्टम अपनी भूमिका से भागेंगे, तो आने वाले दिनों में हम और भी बड़े हादसों की ओर बढ़ेंगे।
आपसे सवाल:
क्या हमें हर हादसे के बाद समाज से भी जवाब नहीं मांगना चाहिए?
क्या माता-पिता की लापरवाही भी अपराध नहीं मानी जानी चाहिए