क्राइम

Advocate Rajesh jakher :हकृवि में सुरक्षाकर्मियों ने पुलिस की वर्दी पह विद्यार्थियों से की बर्बरता, दो एफआईआर होनी चाहिए*

*हकृवि में सुरक्षाकर्मियों ने पुलिस की वर्दी पह विद्यार्थियों से की बर्बरता, दो एफआईआर होनी चाहिए*

हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में छात्रवृत्ति के पुराने नियमों को फिर से लागू करने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे विद्यार्थियों के साथ मंगलवार को शर्मनाक हादसा हुआ जिसमें विवि के सुरक्षा कर्मियों ने पुलिस की वर्दी पहनकर विद्यार्थियों के साथ बेरहमी से मारपीट की। इस तरह की कार्रवाई विवि में किसी भी प्रदर्शन के दौरान आज तक पुलिस द्वारा भी नहीं की गई है।
इस कार्रवाई पर हकृवि के सुरक्षाकर्मियों पर नकली पुलिस बनने और विद्यार्थियों पर बिना किसी कानूनन अधिकार के मारपीट करने के आरोप में दो एफआईआर दर्ज होनी चाहिए। वरिष्ठ एडवोकेट एवं एक्टिविस्ट एडवोकेट राजेश जाखड़ ने का कहना है कि यह घटना ना सिर्फ मानवाधिकारों का उल्लंघन है बल्कि पुलिस जैसी वर्दी पहनकर विवि के सुरक्षाकर्मी नकली पुलिस कर्मचारी बनने का एक अलग अपराध कर रहे हैं क्योंकि प्राइवेट सिक्योरिटी एजेंसी एक्ट के तहत ऐसा करने पर इनको एक साल तक की सजा हो सकती है। बल प्रयोग की पावर सिर्फ पुलिस के पास है वह भी कानून के दायरे में रहकर लेकिन विवि के सुरक्षाकर्मी पुलिस के वर्दी पहनकर बल प्रयोग करके एक दूसरा अपराध कर रहे हैं। इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज होनी चाहिए।
विद्यार्थियों के लिए, विद्यर्थियों से और विद्यार्थियों के द्वारा बनी विवि के प्रशासन की तानाशाही की पराकाष्ठा यह है कि प्रशासन का कोई अधिकारी इस पर बयान देने के लिए आगे नहीं आ रहा है और बस प्रशासन की तरफ से बयान जारी कर विद्यार्थियों पर सुरक्षाकर्मियों की वर्दी फाडऩे का आरोप लगाया जा रहा है। आरोप भी यह है कि विद्यार्थी कुलपति कार्यालय में घुसने का प्रयास कर रहे थे और सुरक्षागार्ड उनको रोक रहे थे। सवाल यह है कि कुलपति कार्यालय विद्यार्थियों की बात सुनने के लिए और उनके लिए बेहतर योजना आदि बनाने के लिए है तो वहां पर विद्यार्थी नहीं तो क्या सुरक्षा गार्ड घुसेंगे। विवि में विद्यार्थी ही नहीं है तो फिर कुलपति और अन्य स्टाफ की जरूरत क्या है?
विद्यार्थियों ने बताया कि विश्वविद्यालय में 70 प्रतिशत अंक प्राप्त करने वाले हर विद्यार्थी को छात्रवृत्ति मिलती थी लेकिन विवि ने नया संशोधन करके यह फैसला लिया है कि सिर्फ शीर्ष 25 प्रतिशत विद्यार्थियों को ही छात्रवृत्ति मिलेगी। यही नहीं मैरिट छात्रवृत्ति की न्यूनतम योग्यता भी 70 प्रतिशत से बढ़ाकर 75 प्रतिशत कर दी गई है। यानिकि इस विकसित भारत में पुरानी योजनाओं को बंद किया जा रहा है। विरोध करने पर गुंडागर्दी की जा रही है।
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि महाविद्यालय के कृषि अर्थशास्त्र विभाग के शिक्षक डॉ. अनिल महला ने इस मामले में एक शिक्षक का कत्र्तव्य निभाते हुए बहादुरी दिखाई और सुरक्षाकर्मियों को गुंडों तक की संज्ञा दे दी। विवि का शिक्षक संघ तो कुलपति का गुलाम बना हुआ है जबकि उनको इस मुद्दे पर विद्यार्थियों के साथ खड़ा होना चाहिए और दोषी सुरक्षाकर्मियों की बर्खास्तगी और उनके खिलाफ दोनों एफआईआर दर्ज करवाने तक विद्यार्थियों का साथ नहीं छोडऩा चाहिए क्योंकि शिक्षक भी पहले विद्यार्थी ही थे।

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