क्राइम

हरियाणा के भिवानी में पारिवारिक कलह ने ली तीन जिंदगियां, पिता ने बच्चों की हत्या कर की आत्महत्या की कोशिश

रिपोर्ट हरियाणा के भिवानी में पारिवारिक कलह ने ली तीन जिंदगियां, पिता ने बच्चों की हत्या कर की आत्महत्या की कोशिश

भिवानी (हरियाणा), 8 जून 2025:
हरियाणा के भिवानी जिले के धनाना गांव से एक रूह कंपा देने वाली घटना सामने आई है, जहां एक पिता ने अपने दो बच्चों की गला घोंटकर हत्या कर दी और खुद भी ज़हर खाकर आत्महत्या करने की कोशिश की। यह पारिवारिक त्रासदी ना केवल एक घरेलू संघर्ष की भयावह परिणति है, बल्कि समाज में बढ़ते मानसिक तनाव और संवादहीनता की भयावह तस्वीर भी पेश करती है।

घटना का विवरण

मृतकों की पहचान 17 वर्षीय बसंत और 16 वर्षीय आरुषि के रूप में हुई है, जो दोनों 12वीं कक्षा के छात्र थे।
उनके पिता सुभाष ने शनिवार रात दोनों को मैंगो शेक में नींद की गोलियां मिलाकर पिलाईं। जब बच्चे गहरी नींद में चले गए, तो उन्होंने गला घोंटकर दोनों की हत्या कर दी। इसके तुरंत बाद सुभाष ने खुद भी जहरीला पदार्थ निगल लिया।

अभी वह भिवानी के एक अस्पताल में भर्ती है, जहां उसकी हालत गंभीर बताई जा रही है।

एक महीने पहले पत्नी की भी मौत

घटना को और भयावह बना देता है यह तथ्य कि सुभाष की पत्नी की भी एक महीने पहले मौत हो चुकी है, जो प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार जहरीला पदार्थ निगलने से हुई थी। हालांकि उस समय यह आत्महत्या मानी गई थी, अब सुभाष के बयानों के बाद मामले में नया मोड़ आ गया है।

सुभाष के गंभीर आरोप

अस्पताल में होश में आने के बाद सुभाष ने पुलिस को दिए बयान में आरोप लगाया कि उसने यह सब अपने माता-पिता के अत्याचारों से तंग आकर किया है।
उसका कहना है कि उसके माता-पिता उसकी पत्नी को प्रताड़ित करते थे और अंततः जहरीला स्प्रे पिलाकर उसकी हत्या कर दी।
इसके अलावा वे उसकी बहन को मायके में जबरन बैठाना चाहते थे और ससुराल में उसका समाधान नहीं करा रहे थे, जिससे वह मानसिक रूप से पूरी तरह टूट चुका था।

पुलिस जांच जारी

भिवानी सदर थाना पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और जांच शुरू कर दी है।
पुलिस के अनुसार, सभी पहलुओं की बारीकी से जांच की जा रही है — जिसमें पारिवारिक पृष्ठभूमि, मृत पत्नी की मौत, बच्चों की हत्या और सुभाष की मानसिक स्थिति भी शामिल है।

गांव में मातम और हैरानी

धनाना गांव में यह खबर आग की तरह फैली।
स्थानीय लोगों का कहना है कि सुभाष का परिवार बाहर से सामान्य दिखता था, लेकिन घर के भीतर क्या चल रहा था — इसका अंदाज़ा किसी को नहीं था।
स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के सहपाठी और शिक्षक भी इस घटना से गहरे सदमे में हैं।

मानसिक स्वास्थ्य और पारिवारिक संवाद पर सवाल

यह घटना एक बार फिर भारतीय समाज में मानसिक स्वास्थ्य के उपेक्षित पहलू को उजागर करती है।
पारिवारिक कलह, सामाजिक दबाव, और संवाद की कमी — यह सब मिलकर एक ऐसा विस्फोटक वातावरण बना सकते हैं, जिसमें इंसान अपनी सोचने-समझने की शक्ति खो बैठता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि समाज में अब समय आ गया है कि मानसिक तनाव को उतनी ही गंभीरता से लिया जाए, जितनी शारीरिक बीमारी को।

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