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केवल अमेरिका ने UNSC की मीटिंग में गाजा के खिलाफ वीटो कर प्रस्ताव को रोका।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में गाज़ा युद्धविराम को लेकर चल रही अंतरराष्ट्रीय राजनीति की एक महत्वपूर्ण झलक प्रस्तुत करती है। इस विषय को समझना इसलिए ज़रूरी है क्योंकि यह न केवल मध्य-पूर्व की स्थिति पर असर डालता है, बल्कि वैश्विक कूटनीतिक संतुलन और मानवाधिकार के मुद्दों पर भी गहरा प्रभाव डालता है।

इस घटना की प्रमुख बातें:

1. प्रस्ताव का उद्देश्य:
यह प्रस्ताव गाज़ा में तत्काल, बिना शर्त और स्थायी युद्धविराम की मांग करता था, ताकि वहां उत्पन्न गंभीर मानवीय संकट को रोका जा सके।

2. वोटिंग का परिणाम:

14 देशों ने समर्थन किया

केवल अमेरिका ने वीटो कर प्रस्ताव को रोका।

 

3. अमेरिका का पक्ष:

अमेरिका ने प्रस्ताव का विरोध इसलिए किया क्योंकि उसमें हमास की निंदा नहीं की गई थी और हमास के गाज़ा छोड़ने की कोई मांग नहीं रखी गई थी।

अमेरिका का मानना है कि यह प्रस्ताव उसके मध्यस्थता प्रयासों को कमजोर करेगा।

 

4. राजनीतिक संदेश:
अमेरिका के इस कदम को व्यापक रूप से उसके इज़राइल के साथ मजबूत रणनीतिक रिश्तों के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है, भले ही अंतरराष्ट्रीय समुदाय युद्धविराम के पक्ष में क्यों न हो।

 

विश्लेषण:

मानवीय दृष्टिकोण से:
गाज़ा में लगातार हताहतों की संख्या बढ़ रही है, जिसमें बड़ी संख्या में नागरिक, महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। ऐसे में युद्धविराम की मांग को मानवाधिकार के नजरिए से पूरी दुनिया में समर्थन मिल रहा है।

राजनीतिक दृष्टिकोण से:
अमेरिका का वीटो यह दिखाता है कि वह हमास को एकमात्र समस्या मानते हुए गाज़ा संकट का हल इज़राइल के पक्ष से जोड़ रहा है।

कूटनीतिक संतुलन:
यह घटना UNSC की सर्वसम्मति की विफलता को उजागर करती है और यह सवाल खड़ा करती है कि क्या वीटो पावर रखने वाले देश वास्तव में वैश्विक शांति के लिए काम कर रहे हैं या अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता दे रहे हैं।

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