
आज असंध के फफड़ाना गांव में एक छायादार पेड़ के नीचे बैठकर अपने परिवारजनों से आत्मीय संवाद कर उनका कुशल-मंगल जाना।
हमारी संस्कृति और सभ्यता गाँव के जीवन और वहाँ के अनुभवों के बिना अधूरी है। यात्रा के दौरान बीच पड़ाव में आने वाले गाँवों और कस्बों में रुककर वहाँ के लोगों से मिलना नई ऊर्जा भर देता है।