हिसार में इंसानियत शर्मसार: डिलीवरी के बाद दुष्कर्म पीड़िता और नवजात बच्ची की मौत, आरोपी अब भी फरार
18 वर्षीय पीड़िता की गर्भावस्था का खुलासा पेट दर्द के इलाज के दौरान हुआ था, गंभीर संक्रमण और खून की कमी से मां-बेटी दोनों की गई जान

हिसार में दिल दहला देने वाला मामला: दुष्कर्म पीड़िता की डिलीवरी के बाद मौत, नवजात बच्ची ने भी तोड़ा दम। POCSO के तहत मामला दर्ज, आरोपी की तलाश जारी।
हिसार ब्यूरो : THE ASIA PRIME / TAP News
हिसार (हरियाणा):
हरियाणा के हिसार जिले से सामने आया यह मामला न सिर्फ कानून व्यवस्था बल्कि समाज की संवेदनशीलता पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है। यहां एक 18 वर्षीय दुष्कर्म पीड़िता की डिलीवरी के बाद इलाज के दौरान मौत हो गई, जबकि उससे कुछ घंटे पहले ही उसकी नवजात बच्ची ने भी दम तोड़ दिया। इस दोहरी मौत ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया है।
पुलिस ने दोनों शवों का पोस्टमार्टम नागरिक अस्पताल में करवाकर मामले की गहन जांच शुरू कर दी है। पीड़िता के साथ हुए अपराध को लेकर पहले ही अज्ञात आरोपी के खिलाफ दुष्कर्म और POCSO एक्ट के तहत केस दर्ज किया जा चुका है, लेकिन अब तक आरोपी की पहचान नहीं हो पाई है।
लड़की के पेट दर्द की शिकायत से खुला था दर्दनाक सच
यह मामला तब सामने आया जब 11 नवंबर को युवती को पेट दर्द की शिकायत पर हिसार के नागरिक अस्पताल लाया गया। जांच के दौरान डॉक्टरों ने खुलासा किया कि वह करीब 7 महीने की गर्भवती है। यह जानकारी सुनते ही परिजन स्तब्ध रह गए। इसके बाद परिजनों की शिकायत पर पुलिस ने तत्काल मामला दर्ज किया।
डिलीवरी के बाद बिगड़ती चली गई हालत
परिजनों के अनुसार, 30 नवंबर को पीड़िता की तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर उसे एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया।
3 दिसंबर को उसने एक बच्ची को जन्म दिया, लेकिन जन्म के साथ ही नवजात की हालत बेहद नाजुक थी।
नवजात बच्ची को गंभीर संक्रमण था
हालत बिगड़ने पर उसे अग्रोहा मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया
बुधवार रात बच्ची ने दम तोड़ दिया
बच्ची की मौत के कुछ ही घंटों बाद, गुरुवार सुबह पीड़िता की भी इलाज के दौरान मौत हो गई।
लड़की में खून की भारी कमी और संक्रमण बने मौत की वजह
इलाज कर रहे डॉक्टर महेंद्र सिंह ने बताया कि पीड़िता के शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर बेहद कम था। उसकी जान बचाने के लिए:
करीब 12 यूनिट रक्त चढ़ाया गया
कई पुलिसकर्मियों ने भी रक्तदान किया
लेकिन शरीर में फैले गंभीर संक्रमण और मल्टी-ऑर्गन फेलियर के कारण उसे बचाया नहीं जा सका
बलात्कार आरोपी की पहचान बनी सबसे बड़ी चुनौती
इस पूरे मामले की सबसे बड़ी गुत्थी आरोपी की पहचान है। परिजनों का कहना है कि उन्होंने कई बार बेटी से पूछने की कोशिश की, लेकिन वह डर या मानसिक दबाव के कारण किसी का नाम नहीं बता सकी।
पुलिस के लिए अब बिना पीड़िता के बयान के आरोपी तक पहुंचना एक बड़ी चुनौती बन गया है।
लड़की के परिवारिक पृष्ठभूमि भी जांच के घेरे में
जांच में यह भी सामने आया है कि पीड़िता की मां अपने पति से तलाक के बाद लिव-इन रिलेशनशिप में रह रही थी। इलाज के दौरान अस्पताल में पीड़िता की मां और उनका लिव-इन पार्टनर मौजूद थे, जबकि जैविक पिता उपस्थित नहीं था। यह पहलू भी पुलिस जांच का हिस्सा है।
इस मामले पर पुलिस और CWC की कार्रवाई
सिटी थाना की जांच अधिकारी पूजा ने बताया कि:
“दोनों शवों का पोस्टमार्टम करवा दिया गया है। अज्ञात आरोपी की तलाश जारी है और हर पहलू से जांच की जा रही है।”
वहीं बाल कल्याण समिति (CWC) की सदस्य सुनीता रेड्डू ने भी पुष्टि की है कि समिति इस पूरे मामले पर निगरानी रखे हुए है।
कानून और समाज के लिए बड़ा सवाल
यह मामला एक बार फिर दिखाता है कि नाबालिगों के खिलाफ अपराधों में समय पर पहचान, सुरक्षा और भरोसेमंद माहौल कितना जरूरी है। आरोपी की गिरफ्तारी अब न सिर्फ कानूनी बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी भी बन चुकी है।
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