हरियाणा सरकार का ऐतिहासिक फैसला: 54 साल बाद हाउसिंग बोर्ड का HSVP में विलय; 42 कानूनों से हटेगा जेल का प्रावधान
आबादी देह के 31 लाख लोगों को मालिकाना हक और छोटे व्यापारियों को बड़ी राहत; मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने विधानसभा में पास किए 8 महत्वपूर्ण विधेयक। चंडीगढ़:

हरियाणा सरकार ने 54 साल पुराने हाउसिंग बोर्ड का HSVP में विलय कर दिया है और 42 कानूनों को अपराधमुक्त (Decriminalize) करने का ऐतिहासिक फैसला लिया है। जानें किन 31 लाख लोगों को मिलेगा मालिकाना हक।
चंडीगढ़ : THE ASIA PRIME / TAP News
हरियाणा की नायब सिंह सैनी सरकार ने प्रदेश के प्रशासनिक और कानूनी ढांचे में क्रांतिकारी बदलाव करते हुए विधानसभा के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन 8 महत्वपूर्ण विधेयकों को मंजूरी दी है। इस फैसले का सबसे बड़ा असर प्रदेश के शहरी विकास, ग्रामीण संपत्ति अधिकारों और न्यायिक प्रक्रिया पर पड़ेगा। सरकार ने ‘मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस’ के सिद्धांत पर चलते हुए 54 साल पुराने हाउसिंग बोर्ड का अस्तित्व समाप्त कर उसे हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (HSVP) में मिला दिया है।
प्रमुख घोषणाएं और उनके लाभ
1. हाउसिंग बोर्ड का HSVP में विलय
1971 में स्थापित हरियाणा हाउसिंग बोर्ड अब इतिहास बन गया है। अब इसके सभी कार्यों, संपत्तियों और कर्मचारियों का प्रबंधन हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (HSVP) करेगा। इससे न केवल प्रशासनिक खर्च कम होगा, बल्कि शहरी आवास परियोजनाओं में तेजी आएगी और आम जनता को अलग-अलग दफ्तरों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे।
2. ‘आबादी देह’ के 31 लाख लोगों को मालिकाना हक
सरकार ने ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में ‘आबादी देह’ (लाल डोरा के भीतर) रहने वाले लगभग 31 लाख लोगों को उनकी जमीन और घर का वास्तविक मालिकाना हक देने का रास्ता साफ कर दिया है। अब ये लोग अपनी संपत्ति पर बैंक लोन ले सकेंगे और उसे कानूनी रूप से बेच या स्थानांतरित कर सकेंगे।
3. अतिथि अध्यापकों और छोटे व्यापारियों को सौगात
तकनीकी शिक्षा विभाग के अतिथि अध्यापकों की सेवा को सुरक्षित करने के लिए विधेयक पास किया गया है। साथ ही, ‘हरियाणा उद्यम प्रोत्साहन (संशोधन) विधेयक’ के जरिए छोटे दुकानदारों और व्यापारियों के लिए व्यापार करना आसान बनाया गया है।
कानूनी सुधार: किन 42 कानूनों से हटेगा जेल का डर?
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने ‘हरियाणा राज्य (अपराधों का विमुद्रीकरण) विधेयक, 2024’ पेश किया। इसके तहत 42 कानूनों में संशोधन किया गया है ताकि छोटे और तकनीकी अपराधों (Minor Offences) के लिए लोगों को जेल न जाना पड़े। अब इन मामलों में केवल आर्थिक दंड (जुर्माना) का प्रावधान होगा।
प्रमुख विभाग और अधिनियम जिनमें सुधार किया गया है:
सरकार ने मुख्य रूप से उन कानूनों को चुना है जो आम नागरिकों, किसानों और व्यापारियों के दैनिक जीवन से जुड़े हैं। यहाँ उन 42 कानूनों की श्रेणियों और प्रमुख नामों का विवरण दिया गया है:
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विभाग | प्रमुख कानूनों के नाम |
|---|---|
शहरी स्थानीय निकाय | हरियाणा नगर निगम अधिनियम (1994), हरियाणा नगर पालिका अधिनियम (1973) |
कृषि एवं किसान कल्याण | हरियाणा बीज अधिनियम, कृषि उपज मंडी अधिनियम (APMC), उर्वरक नियंत्रण आदेश से जुड़े प्रावधान |
श्रम एवं रोजगार | हरियाणा दुकान और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान अधिनियम (1958), कारखाना अधिनियम से जुड़े स्थानीय नियम |
लोक स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी | हरियाणा नहर और जल निकासी अधिनियम, जल आपूर्ति से संबंधित नियम |
परिवहन और बुनियादी ढांचा | हरियाणा लिफ्ट और एस्केलेटर अधिनियम (2008), हरियाणा सड़क और पुल विधेयक |
शिक्षा और स्वास्थ्य | हरियाणा निजी कोचिंग संस्थान (पंजीकरण और विनियमन) विधेयक, सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़े छोटे नियम |
अन्य महत्वपूर्ण विभाग | सहकारिता विभाग, उद्योग एवं वाणिज्य, अग्निशमन सेवा अधिनियम (2022), और खाद्य एवं औषधि प्रशासन से जुड़े 42 अधिनियम। |
नोट: इन संशोधनों का मुख्य उद्देश्य “Ease of Living” को बढ़ावा देना है। उदाहरण के तौर पर, यदि किसी दुकानदार का लाइसेंस रिन्यूअल में देरी होती है या किसी निर्माण में तकनीकी खामी मिलती है, तो उसे अपराधी की तरह जेल नहीं भेजा जाएगा, बल्कि जुर्माना लेकर मामला सुलझाया जाएगा।
हरियाणा सरकार के ये कदम न केवल कानूनी पेचीदगियों को कम करेंगे, बल्कि भ्रष्टाचार पर भी लगाम लगाएंगे। हाउसिंग बोर्ड का विलय और 42 कानूनों का सरलीकरण प्रदेश की अर्थव्यवस्था को गति देने वाला साबित होगा।
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