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जेफ्री एपस्टीन की फाइलों का खुलासा और भारत में लापता होती बेटियां: रसूख और खौफ का वो सच जो आपको हिला देगा

अमरीकी एलीट क्लास के ‘सेक्स रैकेट’ से लेकर मध्य प्रदेश से एक साल में गायब हुई 23 हजार लड़कियों तक—रवीश कुमार की रिपोर्ट के जरिए सत्ता, मजबूरी और मानव तस्करी के काले जाल का विश्लेषण।

​दिल्ली ब्यूरो: THE ASIA PRIME

अमरीका का ‘पावरफुल’ चेहरा और एपस्टीन की फाइल्स

हाल ही में सार्वजनिक हुई जेफ्री एपस्टीन की फाइलों ने पूरी दुनिया, खासकर अमरीकी रसूखदारों के बीच हड़कंप मचा दिया है। यह मामला सिर्फ एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि उन ‘ताकतवर एलीट’ लोगों का है जो एपस्टीन के संपर्क में थे। एपस्टीन पर 12 से 14 साल की नाबालिग लड़कियों की सेक्स ट्रैफिकिंग का गिरोह चलाने का आरोप था। फाइलों से साफ है कि कैसे रसूख की आड़ में मजबूरी का फायदा उठाकर मासूमों का यौन शोषण किया गया। यह नेटवर्क सिर्फ अमरीका तक सीमित नहीं था, बल्कि इसके तार कई देशों से जुड़े थे।

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भारत की भयावह स्थिति: मध्य प्रदेश का चौंकाने वाला आंकड़ा

एपस्टीन मामले की गूंज के बीच भारत की स्थिति और भी चिंताजनक है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) और हालिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत में लड़कियों के गायब होने की रफ्तार डराने वाली है।

​अकेले मध्य प्रदेश की बात करें, तो एक साल के भीतर 23,000 से ज्यादा लड़कियां लापता हुई हैं। यह आंकड़ा न केवल प्रशासनिक विफलता को दर्शाता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि देश के भीतर मानव तस्करी का एक बहुत बड़ा और संगठित गिरोह सक्रिय है। गायब होने वाली लड़कियों में एक बड़ी संख्या उन परिवारों की है जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं, जिनका फायदा उठाकर उन्हें काम या बेहतर जीवन के बहाने तस्करी के दलदल में धकेल दिया जाता है।

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सवाल सत्ता और समाज से

रवीश कुमार ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया है कि चाहे अमरीका हो या भारत, शोषक हमेशा ताकतवर होता है और शिकार हमेशा कमजोर। क्या हमारी व्यवस्था इन गायब होती लड़कियों को खोजने के लिए उतनी ही सक्रिय है जितनी वह राजनीतिक रसूख बचाने में होती है? 23 हजार लड़कियों का एक राज्य से गायब होना कोई छोटी घटना नहीं, बल्कि एक ‘नेशनल इमरजेंसी’ की तरह है।

​एपस्टीन की फाइलें हमें चेतावनी दे रही हैं कि अगर रसूखदारों पर लगाम नहीं कसी गई और जमीनी स्तर पर सुरक्षा तंत्र मजबूत नहीं हुआ, तो मासूमों का शोषण इसी तरह जारी रहेगा। हमें अपनी बेटियों के लिए एक सुरक्षित समाज सुनिश्चित करना ही होगा।

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