G20 में बड़ा ड्रामा: ट्रंप ने किया बहिष्कार, रामाफोसा ने यूएस को ‘खाली अध्यक्षता’ सौंपी
मुख्य समाचार — G20 में ट्रंप का बायकॉट व अमेरिकी अपमान का ड्रामा

G20 समिट में ट्रंप का बायकॉट, रामाफोसा ने अमेरिकी प्रतिनिधि को अध्यक्षता देने से इंकार किया। अन्य देशों ने क्लाइमेट डिक्लेरेशन मंजूर किया।
Delhi ब्यूरो: THE ASIA PRIME/TAP News
जोहानसबर्ग, दक्षिण अफ्रीका — G20 शिखर सम्मेलन में एक बड़े कूटनीतिक विवाद की हवा बनी है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस साल के समिट को बहिष्कार करने का ऐलान किया और उसके बाद उन्हें ‘खाली कुर्सी’ को सौंपने का प्रस्ताव मिलने पर मना कर दिया गया। इस फैसले ने दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा और अन्य G20 सहयोगियों के बीच राजनीतिक तनाव को और गहरा कर दिया है।
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ट्रंप ने G20 में भाग न लेने की घोषणा करते हुए साउथ अफ्रीका में श्वेत किसानों के कथित उत्पीड़न और ज़मीन हड़पने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि दक्षिण अफ्रीका सरकार की नीतियाँ “मानवाधिकारों का उल्लंघन” हैं और इसलिए उनकी प्रतिनिधि सरकार G20 में हिस्सा नहीं लेगी।
रामाफोसा ने ट्रंप के इस कदम का जवाब देते हुए कहा कि G20 की प्रक्रिया अमेरिका के बिना भी आगे बढ़ेगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी राष्ट्रीय अध्यक्षता एक मजबूत और समान दृष्टिकोण पर आधारित है। “हमें धमकाया नहीं जाएगा,” उन्होंने कहा।
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समिट में ट्रंप के बहिष्कार के बावजूद, G20 देशों ने मौजूदा जलवायु संकट, ऋण संकट, और अन्य वैश्विक चुनौतियों को लेकर एक संयुक्त घोषणापत्र को स्वीकार किया। यह मसौदा यूएस बिना शामिल हुए तैयार किया गया था, जिसे व्हाइट हाउस ने “शर्मनाक” करार दिया है।
रामाफोसा की टीम ने कहा कि यह घोषणा “पुनर्विचार नहीं की जाएगी” और इसे G20 के संस्थापक सिद्धांतों के अनुरूप पाया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिकी प्रतिनिधि को अध्यक्षता देने के प्रस्ताव के बजाय “खाली कुर्सी” को अगले साल G20 की मेजबानी सौंपना अधिक उपयुक्त होगा।
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घोषणापत्र में नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता, विकासशील देशों पर ऋण बोझ को कम करने की मांग, और जलवायु अनुकूलन रणनीतियों को स्वीकार किया गया है। यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला-वॉन-डेर-लेयेन ने इस बयान के बाद यह चेतावनी भी दी है कि निर्भरता को “हथियारबंद” न बनाया जाए।
यह घटनाक्रम यह दर्शाता है कि ट्रंप के बायकॉट और रामाफोसा के आत्मविश्वासी रुख ने G20 में मजबूत बहुपक्षीय प्रतिबद्धता को जन्म दिया है, विशेष रूप से विकासशील और ग़रीब राष्ट्रों के लिए