दिल्ली NCRधर्म
Trending

भारत स्वाभिमान आंदोलन के प्रणेता राजीव दीक्षित: जन्म-जयंती और पुण्यतिथि पर विशेष

30 नवंबर—भारत की स्वदेशी चेतना को नई दिशा देने वाले राजीव दीक्षित जी को आज पूरे देश में श्रद्धांजलि।

30 नवंबर को जन्मे और इसी दिन 2010 में दुनिया से विदा हुए राजीव दीक्षित जी को देश याद कर रहा है। स्वदेशी आंदोलन, व्याख्यान और राष्ट्रवाद पर  विस्तृत रिपोर्ट।

नई दिल्ली ब्यूरो: THE ASIA PRIME / TAP News

नई दिल्ली
30 नवंबर भारत के स्वदेशी आंदोलन और राष्ट्रवादी विचारधारा की एक बड़ी हस्ती को याद करने का दिन है—राजीव दीक्षित। संयोग से उनका जन्म और निधन दोनों 30 नवंबर को ही हुआ। आज उनकी 57वीं जयंती और 14वीं पुण्यतिथि के अवसर पर पूरे देश में उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी जा रही है। उनके विचार आज भी लाखों लोगों को प्रेरित करते हैं।

राजीव दीक्षित जी का जन्म 30 नवंबर 1967 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले की अतरौली तहसील के नाह गाँव में हुआ। पिता का नाम राधेश्याम दीक्षित और माता का नाम मिथिलेश कुमारी था। बचपन से ही उनकी बुद्धिमत्ता और जिज्ञासा असाधारण थी। शिक्षक कहते थे कि राजीव किसी भी विषय पर गहराई तक सवाल करते और उत्तर न मिलने पर खुद शोध करने लगते थे। इतिहास, विज्ञान और तकनीक में उनकी रुचि बचपन से ही स्पष्ट दिखती थी।

क्या भारत की अर्थव्यवस्था के आँकड़े भरोसेमंद हैं? IMF की नई रिपोर्ट के बाद बढ़ी चिंतायें

राजीव दीक्षित ने फिरोजाबाद से इंटर तक की पढ़ाई करने के बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय से B.Tech और IIT कानपुर से M.Tech की उपाधि प्राप्त की। अपनी प्रतिभा के दम पर उन्होंने भारत के CSIR और फ्रांस के टेलीकम्युनिकेशन सेंटर में भी कार्य किया। कुछ समय बाद वे भारत के पूर्व राष्ट्रपति और वैज्ञानिक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के साथ भी जुड़े।

उनके जीवन में सबसे बड़े प्रेरणास्रोत इतिहासकार प्रो. धर्मपाल थे। धर्मपाल जी ने उन्हें ब्रिटेन के हाउस ऑफ कॉमन्स में सुरक्षित रखे गए हजारों दस्तावेज उपलब्ध कराए, जिनमें यह विवरण था कि अंग्रेजों ने कैसे भारत की अर्थव्यवस्था और शिक्षा व्यवस्था को क्षति पहुँचाई। इन दस्तावेजों का अध्ययन करने के बाद राजीव दीक्षित का विचार पूरी तरह बदल गया और उन्होंने इतिहास की सच्चाई देश के लोगों तक पहुँचाने का संकल्प लिया।

गुजरात के डॉ. गणेश बरैया की सफलता: सुप्रीम कोर्ट की लड़ाई के बाद मेडिकल अधिकारी के रूप में जॉइनिंग

इसके बाद उन्होंने शहर-शहर और गाँव-गाँव जाकर व्याख्यान देना शुरू किया, जिनकी संख्या 20 वर्षों में 12,000 से अधिक हो गई। उन्होंने विदेशी कंपनियों के खिलाफ स्वदेशी आंदोलन को नई ऊर्जा दी और देश में स्वदेशी उत्पादों के पक्ष में जनजागरूकता का बड़ा अभियान चलाया।

साल 2009 में उन्होंने भारत स्वाभिमान ट्रस्ट की स्थापना की और इसके राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं सचिव बने। इससे पहले वे आज़ादी बचाओ आंदोलन के भी मुख्य चेहरा रहे। विदेशी आर्थिक नीतियों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के विस्तार को लेकर उन्होंने मुखर होकर आवाज उठाई।

चीन की मोनोपोली खत्म: भारत में 7,280 करोड़ की REPM मैग्नेट फैक्ट्री योजना मंजूर, आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम

राजीव दीक्षित की लोकप्रियता और प्रभाव देशभर में तेजी से बढ़े।
उनके व्याख्यान आज भी इंटरनेट पर सबसे ज्यादा सुने जाने वाले भाषणों में शामिल हैं। लाखों लोग उन्हें एक ऐसे राष्ट्रवादी विचारक के रूप में देखते हैं जिसने विज्ञान, इतिहास, नीति और संस्कृति को आम भाषा में समझाया।

30 नवंबर 2010 को अचानक दिल का दौरा पड़ने के बाद उनका निधन हो गया। पहले उन्हें भिलाई के सरकारी अस्पताल ले जाया गया, फिर अपोलो हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। रात में स्थिति बिगड़ने पर डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। उनकी मृत्यु को लेकर कई सवाल आज भी लोगों के मन में हैं, क्योंकि निधन के बाद उनके शरीर के नीला पड़ जाने को लेकर तरह-तरह की चर्चाएँ सामने आईं। हालाँकि, उनकी मौत का कारण आज तक आधिकारिक तौर पर स्पष्ट नहीं हो पाया।

गोरखपुर में शर्मनाक घटना: बेटे ने मां के शव को लेने से किया इनकार, कहा—“घर में शादी है, अपशकुन होगा”

आज, 30 नवंबर को, राजीव दीक्षित जी को पूरा देश याद कर रहा है। उनके स्वदेशी, स्वाभिमान और राष्ट्रवाद के संदेश आज भी प्रेरणा का स्रोत हैं। युवा पीढ़ी अब भी उनके भाषणों से सीख लेती है और देश को आत्मनिर्भर बनाने का संदेश आगे बढ़ाती है।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
© 2025 The Asia Prime | All Rights Reserved Contact: 9050215014 | Email: satbirchoudhary20@gmail.com Address: VPO Jandli Kalan, Teh Distt. Fatehabad, Haryana