चीन की मोनोपोली खत्म: भारत में 7,280 करोड़ की REPM मैग्नेट फैक्ट्री योजना मंजूर, आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम
ब्रेकिंग न्यूज़: चीन की बढ़त को चुनौती, भारत में 7,280 करोड़ की REPM मैग्नेट योजना को मंजूरी — आत्मनिर्भर भारत की दिशा में ऐतिहासिक कदम

भारत ने 7,280 करोड़ की रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट (REPM) योजना को मंजूरी दी। इससे देश में 6,000 MT क्षमता वाले अत्याधुनिक मैग्नेट प्लांट स्थापित होंगे।
नई दिल्ली। (दि एशिया प्राइम)
केंद्र सरकार ने चीन की तकनीकी पकड़ और मोनोपोली को चुनौती देते हुए बुधवार को एक ऐतिहासिक और रणनीतिक फैसला लिया है। सरकार ने देश में ‘सिंटर्ड रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट्स (REPM)’ की मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए 7,280 करोड़ रुपये की महत्वाकांक्षी योजना को मंजूरी दे दी है। यह अपने आप में भारत की पहली और सबसे बड़ी पहल है, जिसका उद्देश्य हर साल 6,000 मीट्रिक टन क्षमता वाले आधुनिक मैग्नेट प्लांट स्थापित करना है।
सरकार का यह कदम इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया भर में इस्तेमाल होने वाले उच्च क्षमता वाले मैग्नेट्स पर चीन का लगभग एकाधिकार है। इलेक्ट्रिक वाहन, मोबाइल फोन, सोलर-विंड ऊर्जा, मिसाइल सिस्टम और MRI जैसे मेडिकल उपकरणों में उपयोग होने वाले ये मैग्नेट पूरी तरह हाई-टेक श्रेणी में आते हैं और भविष्य की तकनीक की रीढ़ माने जाते हैं।
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भारत द्वारा चीन की मोनोपोली तोड़ने की तैयारी
पिछले कुछ वर्षों में चीन ने Rare Earth Magnets के निर्यात पर प्रतिबंध लगाए थे, जिससे दुनिया की सप्लाई चेन प्रभावित हुई।
इसका सीधा असर इन इंडस्ट्रीज पर पड़ा:
इलेक्ट्रिक वाहन (EV)
मोबाइल व इलेक्ट्रॉनिक्स
एयरोस्पेस
रक्षा उपकरण
पवन और सौर ऊर्जा
मेडिकल MRI उद्योग
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इन महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भारत की निर्भरता कम करने के लिए ही यह योजना तैयार की गई है। सरकार का मानना है कि अब देश Rare Earth Magnets की पूरी सप्लाई चेन का मालिक बनेगा, जिससे तकनीकी आत्मनिर्भरता को नई गति मिलेगी।
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वित्तीय मॉडल: 7,280 करोड़, जिसमें 6,450 करोड़ Incentive
सरकार की योजना वित्तीय रूप से भी मजबूत है। कुल 7,280 करोड़ के बजट में:
6,450 करोड़ रुपये: Sales-Based Incentive
750 करोड़ रुपये: Capital Subsidy
इसका लक्ष्य Rare Earth Oxide से लेकर तैयार मैग्नेट तक पूरी value chain भारत में विकसित करना है।
इस योजना में क्या होगा?
योजना की अवधि 7 वर्ष रखी गई है।
पहले 2 साल प्लांट स्थापित करने के लिए होंगे।
अगले 5 साल बिक्री आधारित प्रोत्साहन दिए जाएंगे।
वैश्विक बोली प्रक्रिया से 5 कंपनियों का चयन किया जाएगा।
हर कंपनी को अधिकतम 1,200 टन उत्पादन क्षमता दी जाएगी।
इससे भारत सालाना 6,000 टन हाई-टेक मैग्नेट बनाने लगेगा।
यह उत्पादन क्षमता भारत को दुनिया के शीर्ष Rare Earth Magnet उत्पादक देशों की सूची में ले आएगी।
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आत्मनिर्भर भारत और विकसित भारत @2047 में बड़ी भूमिका
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सरकार ने कहा है कि यह योजना:
‘आत्मनिर्भर भारत मिशन’
2070 तक ‘नेट जीरो’
‘विकसित भारत @2047’ लक्ष्य
को हासिल करने में मील का पत्थर साबित होगी।
इससे भारत को यह लाभ मिलेंगे:
1 अत्याधुनिक तकनीक का विकास
2 रक्षा, एयरोस्पेस और मेडिकल सेक्टर को मजबूती
3 हजारों नए रोजगार
4 सप्लाई चेन मजबूत
5 चीन पर निर्भरता खत्म
6 वैश्विक REPM बाजार में भारत की मजबूत स्थिति
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विशेषज्ञों का मानना है कि–
उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि Rare Earth Magnets का वैश्विक बाजार तेजी से बढ़ रहा है। आज से लेकर अगले 20 वर्षों तक EV, नवीकरणीय ऊर्जा और रक्षा प्रणालियों की मांग कई गुना बढ़ने वाली है। भारत का यह कदम आने वाले दशकों तक देश को तकनीकी रूप से स्वतंत्र और रणनीतिक रूप से सशक्त बनाएगा।
सरकार की यह 7,280 करोड़ रुपये की REPM योजना न केवल आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारत की तकनीकी स्वतंत्रता, रक्षा मजबूती और भविष्य की ऊर्जा नीति को नई दिशा देगी। चीन की मोनोपोली खत्म करने और आत्मनिर्भरता बढ़ाने की दिशा में यह फैसला ऐतिहासिक साबित हो सकता है।
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