गोरखपुर में शर्मनाक घटना: बेटे ने मां के शव को लेने से किया इनकार, कहा—“घर में शादी है, अपशकुन होगा”

गोरखपुर के पयरगंज थाना क्षेत्र के भरोहियांगाम पंचायत में मानवता को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई। मां की मौत के बाद बड़े बेटे ने केवल इसलिए शव लेने से इनकार कर दिया क्योंकि घर में उसके बेटे की शादी थी। उसने अधिकारियों से शव को चार दिन तक फ्रीजर में रखने की मांग की। घटना से गाँव में आक्रोश है और बुजुर्ग पिता रो-रोकर बेहाल हैं।
गोरखपुर ब्यूरो: THE ASIA PRIME/TAP News
गोरखपुर : जिले के पयरगंज थाना क्षेत्र के भरोहियांगाम पंचायत से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहाँ एक बेटे ने अपनी ही मां के शव को अस्पताल से लेने से इनकार कर दिया। कारण इतना चौंकाने वाला था कि हर कोई स्तब्ध रह गया। बेटे ने अधिकारियों से कहा कि घर में उसके बेटे की शादी है, और अगर “लाश” इस समय घर आई तो यह बड़ा अपशकुन माना जाएगा। वह शादी के बाद ही दाह संस्कार करना चाहता है।
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जानकारी के अनुसार, मृतक महिला पिछले कुछ समय से बीमार चल रही थीं। उनकी हालत बिगड़ने पर परिजन उन्हें अस्पताल ले गए, जहाँ उपचार के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। अस्पताल की ओर से परिवार को सूचना दी गई, लेकिन बड़े बेटे ने फोन पर ही स्पष्ट कह दिया कि वह अभी शव नहीं ले सकता।
सूत्रों के अनुसार, बेटे ने अस्पताल प्रशासन से यह भी कहा कि
“चार दिन तक शव को फ्रीजर में रखवा दो, शादी के बाद आकर अंतिम संस्कार कर दूँगा।”
मां की मृत्यु की खबर मिलते ही गांव में हड़कंप मच गया। लेकिन जब बेटे के इस व्यवहार के बारे में लोगों को पता चला, तो सभी हैरान रह गए। गांव के बुजुर्ग, रिश्तेदार और पड़ोसी उसके इस फैसले से नाराज़ हैं।
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सबसे अधिक हृदय विदारक दृश्य तब देखने को मिला जब मृतका के पति—जो खुद भी वृद्ध हैं—अस्पताल के गलियारे में बैठकर फूट-फूटकर रोने लगे। पिता ने रोते हुए कहा:
“बेटा तो मेरा है, पर आज उसने माँ को नहीं पहचाना… शादी की खुशी के आगे मां की ममता को तौल दिया।”
अस्पताल प्रबंधन ने भी इस स्थिति को अत्यंत संवेदनशील बताया। मृतका के पति और गांव के अन्य लोग चाहते थे कि तुरंत संस्कार हो, लेकिन बड़ा बेटा जिद पर अड़ा रहा। अस्पताल प्रशासन ने इस मामले की जानकारी स्थानीय थाना पुलिस और पंचायत प्रतिनिधियों को दी।
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पुलिस और स्थानीय अधिकारियों ने बेटे से बात करने की कोशिश की, लेकिन उसने वही दोहराया कि—
“शादी खत्म होने दो, उसके बाद ही मैं अंतिम संस्कार करूँगा।”
यह घटना सोशल मीडिया पर भी तेजी से वायरल हो रही है। लोग इसे अमानवीय, असंवेदनशील और सामाजिक पतन का उदाहरण बता रहे हैं। कई लोग यह भी कह रहे हैं कि परंपरा और अंधविश्वास ने रिश्तों के मानवीय पहलुओं को खत्म कर दिया है।
पंचायत प्रधान ने कहा कि यह मामला मानवता को झकझोर देने वाला है। उन्होंने अधिकारियों से अनुरोध किया कि मृतका के वृद्ध पति को न्याय मिले। वहीं, स्थानीय समाजसेवियों ने परिवार की मदद की पेशकश की है।
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फिलहाल शव अस्पताल के मोर्चरी में रखा हुआ है और पुलिस स्थिति पर नजर रखे हुए है।
यह घटना इस बात की ओर इशारा करती है कि आधुनिकता के दौर में भी अंधविश्वास और सामाजिक दिखावे किस हद तक लोगों को अपने कर्तव्यों से दूर कर देते हैं। मां की मौत के समय भी “शादी की खुशी” और “अपशकुन का डर” एक बेटे को इतना कठोर बना सकता है, यह समाज के लिए बड़ा सवाल है।
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