
बिहार सरकार ने अडानी पावर ग्रुप को 1020 एकड़ जमीन मात्र 30 रुपये में दी 30 साल की लीज़ पर
बिहार सरकार ने अडानी पावर ग्रुप को औरंगाबाद में 1020 एकड़ जमीन मात्र 1 रुपये/वर्ष की दर से 30 सालों के लिए लीज़ पर दी है। जानिए इस सौदे के फायदे, विवाद और असर।
ब्यूरो:THE ASIA PRIME /TAP News
बिहार सरकार के एक बड़े फैसले ने इस समय पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है। राज्य सरकार ने अडानी पावर ग्रुप को औरंगाबाद जिले में 1020 एकड़ जमीन मात्र 1 रुपये प्रति वर्ष की दर से 30 सालों के लिए लीज़ पर देने का निर्णय लिया है। इसका सीधा अर्थ यह हुआ कि अडानी ग्रुप को 30 साल तक इतनी विशाल जमीन केवल ₹30 में उपलब्ध होगी।
यह कदम राज्य में उद्योग और निवेश को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उठाया गया है, लेकिन इस फैसले ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में जबरदस्त बहस छेड़ दी है।
बिहार सरकार और अडानी पावर लिमिटेड (APL)के साथ कैसे हुआ समझौता?
बिहार सरकार और अडानी पावर लिमिटेड (APL) के बीच हुए करार के अनुसार, कंपनी को यह जमीन औरंगाबाद के नबीनगर क्षेत्र में दी जाएगी। यहां पहले से ही ऊर्जा परियोजनाओं के लिए माहौल उपयुक्त है।
अडानी पावर इस जमीन पर थर्मल पावर प्रोजेक्ट और उससे संबंधित अधोसंरचना का विकास करेगी। सरकार का दावा है कि इस परियोजना से राज्य में बिजली की आपूर्ति बेहतर होगी और युवाओं को रोजगार मिलेगा।
बिहार सरकार द्वारा 1 रुपये/वर्ष की दर क्यों रखी गई?
बड़े उद्योग लगाने वाली कंपनियों को आकर्षित करने के लिए सरकारें अक्सर भूमि, बिजली और टैक्स में रियायतें देती हैं।
इससे राज्य में निवेश आता है।
स्थानीय स्तर पर रोजगार बढ़ता है।
आर्थिक गतिविधियों और टैक्स से सरकार को लाभ होता है।
बिहार सरकार का तर्क है कि यदि जमीन महंगे दामों पर दी जाती, तो इतना बड़ा निवेश आना संभव नहीं था।
इस फैसले से बिहार में विवाद और आलोचना सरू।
इस फैसले के बाद विपक्षी दलों और आम जनता ने कई सवाल उठाए हैं।
1. जब आम नागरिक को एक छोटा सा प्लॉट खरीदने के लिए लाखों रुपये चुकाने पड़ते हैं, तो 1020 एकड़ जमीन केवल 30 रुपये में क्यों दी गई?
2. क्या यह फैसला किसी खास उद्योगपति को फायदा पहुँचाने के लिए लिया गया है?
3. स्थानीय किसानों और विस्थापित होने वाले परिवारों के हितों की क्या गारंटी है?
सोशल मीडिया पर लोग तंज कसते हुए लिख रहे हैं –
“बिहार में तो जमीन बहुत सस्ती है, 30 साल में 1020 एकड़ सिर्फ़ 30 रुपये में |
”बिहार सरकार ने अपने पक्ष में क्या क्या बाते रखी”
बिहार सरकार का कहना है कि यह जमीन बेची नहीं गई है, बल्कि केवल लीज़ पर दी गई है।
अगर कंपनी ने निर्धारित समय पर प्रोजेक्ट नहीं लगाया या नियमों का पालन नहीं किया, तो सरकार को जमीन वापस लेने का अधिकार होगा।
कंपनी को स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन करना होगा और CSR (कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) के तहत समाजिक कार्य करने होंगे।
बिजली उत्पादन का एक बड़ा हिस्सा बिहार को ही मिलेगा।
बिहार के स्थानीय लोगों की उम्मीदें
बिहार लंबे समय से उद्योग और रोज़गार की कमी से जूझ रहा है। यदि अडानी पावर ग्रुप की यह परियोजना समय पर शुरू होती है, तो:
हज़ारों युवाओं को नौकरी मिल सकती है।
बिजली आपूर्ति में सुधार होगा।
क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियाँ बढ़ेंगी।
हालाँकि, लोगों को चिंता भी है कि कहीं यह प्रोजेक्ट केवल कागजों पर ही सीमित न रह जाए या इसका फायदा स्थानीय जनता को न मिले।
इस फैसले से चुनौतियाँ और आगे की राह कैसी रहेगी ।
सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि किसानों और प्रभावित परिवारों को उचित मुआवज़ा और पुनर्वास मिले।
पर्यावरण नियमों का पालन हो, ताकि प्रदूषण से लोगों का जीवन प्रभावित न हो।
इस परियोजना से उत्पादित बिजली का सीधा लाभ बिहार को मिले।
बिहार सरकार द्वारा अडानी पावर ग्रुप को 1020 एकड़ जमीन मात्र 30 रुपये में 30 सालों के लिए लीज़ पर देने का निर्णय राज्य के औद्योगिक भविष्य को बदल सकता है। यह फैसला निवेश और रोजगार के लिहाज़ से लाभकारी साबित हो सकता है, लेकिन पारदर्शिता, स्थानीय लोगों की भागीदारी और पर्यावरण सुरक्षा को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
आने वाले समय में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि यह सौदा बिहार के विकास की राह खोलेगा या विवादों में ही घिरा रहेगा।