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नेपाल हिंसा के नेता बने सुदन गुरुङ – उन पर 20 करोड़ रुपए फंडिंग का आरोप, ‘Gen Z’ आंदोलन का चेहरा

नेपाल में हिंसा और सोशल मीडिया प्रतिबंध के बाद “Gen Z” विद्रोह का नेतृत्व करने वाले सुदन गुरुङ की कहानी

ब्यूरो: THE ASIA PRIME / TAP News

सुदन गुरुङ कौन हैं?

2025 में सोशल मीडिया प्रतिबंध के खिलाफ नेपाल में शुरू हुए “Gen Z” आंदोलन में सुदन गुरुङ प्रमुख चेहरा बने। वे युवा नेतृत्व वाली एनजीओ Hami Nepal के अध्यक्ष हैं।
व्यक्तिगत त्रासदी के बाद उन्हें आपदा राहत कार्यों में सक्रिय भूमिका निभाते देखा गया—टा​टीके फंडिंग, भू भूकंप, बाढ़ और भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र में राहत सामग्री पहुंचाना उनकी पहचान बन गई।

सुधन पर आर्थिक फढ़ जुटाने का आरोप:
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सुदन गुरुङ ने पिछले दशक में करीब 20 करोड़ रुपये से अधिक फंड जुटाया, जिसे उन्होंने आपदा-प्रभावितों की सहायता में और बाद में युवा आंदोलन को संगठित करने में लगाया।

सरकार का सोशल मीडिया पर प्रतिबंध और जनता का व्यापक विरोध:
4 सितंबर 2025 को नेपाल सरकार ने Facebook, X, YouTube जैसे 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगा दिया क्योंकि उन्होंने सरकार के रजिस्ट्रेशन नियमों का पालन नहीं किया। इस कदम के विरोध में देशभर के छात्र और युवा सड़कों पर उतर आए—इनमें “Nepo Kid” अभियान ज्यादा प्रभावी साबित हुआ, जो राजनेताओं के बच्चों के विशिष्टाधिकार को लेकर गुस्सा दर्शा रहा था।

शांति पूर्ण आंदोलन हिंसक कैसे हुआ और परिणाम:
शांतिपूर्ण प्रदर्शन एक हिंसक संघर्ष में तब्दील हो गया—सरकार ने कुछ जगहों पर कर्फ्यू लगा दिया, और 19 से अधिक प्रदर्शनकारी मार गिराए गए, साथ ही कई घायल हुए। इस हिंसा के बाद गृह मंत्री, प्रधानमंत्री समेत कई कैबिनेट मंत्रियों ने इस्तीफा दिया।

गुरुङ और उनकी एनजीओ Hami Nepal विदेशी फंडिंग और Discord जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की सहायता का आरोप
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स ने आरोप लगाए हैं कि गुरुङ और उनकी एनजीओ Hami Nepal विदेशी फंडिंग और Discord जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की सहायता से आंदोलन को व्यवस्थित कर रहे थे। हालांकि, कई लोगों ने इसे “नया नागरिक नेतृत्व” कहा, जो भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया सेंसरशिप के खिलाफ सीधे तौर पर आवाज उठाता रहा।

क्या उत्तराधुनिक नेपाल में युवा नेतृत्व

सुदन गुरुङ की कहानी एक अत्यंत परिवर्तनकारी क्षण को दर्शाती है—जहाँ युवा नेताओं ने तकनीकी, ग्लोबल और पर्सनल टूल्स का उपयोग करके लोकतांत्रिक दबाव पैदा किया। इस आंदोलन ने दिखाया कि सरकारी प्रतिबंध, अगर सार्वजनिक भावना के खिलाफ हो जाए, तो युवा एकजुट होकर बदलाव का सामना कर सकते हैं।

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