दिल्ली विश्वविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव: प्रियंका रानी बनी मिरांडा हाउस अध्यक्ष, भारती रानी बनी डीआरसी कॉलेज उपाध्यक्ष

दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस और DRC कॉलेज में छात्रसंघ चुनावों में प्रियंका रानी व भारती रानी ने शानदार जीत हासिल की है। प्रियंका रानी (पुत्री श्री बलदेव राज) भारी मतों से मिरांडा हाउस की अध्यक्ष चुनी गई हैं, जबकि भारती रानी उसी परिवार से DRC कॉलेज में उपाध्यक्ष पद पर निर्वाचित हुईं। यह जीत सिर्फ उनकी नहीं, बल्कि उन हर माता–पिता के लिए प्रेरणा है, जो बेटियों को आगे बढ़ते देखना चाहते हैं। इस उपलब्धि को हासिल करने में समर्थकों, छात्र साथियों और परिवार का योगदान अमूल्य रहा। मेहनत, दृढ़ता और आत्मविश्वास की मिसाल बन कर उन्होंने साबित कर दिया है कि परिस्थिति चाहे जैसी भी हो, उत्साह और लगन से मुकाम हासिल किया जा सकता है।
दिल्ली ब्यूरो:THE ASIA PRIME / TAP News
दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) में इस साल छात्रसंघ चुनावों ने एक नया इंद्रधनुष दिखाया है। राजनीतिक दलों और छात्र राजनीति की हलचल तो रही, लेकिन इस बीच एक ऐसी घटना हुई जिसने उम्मीद और प्रेरणा दोनों का संदेश दिया। मिरांडा हाउस कॉलेज और DRC कॉलेज के छात्रसंघ चुनावों में प्रियंका रानी और भारती रानी नामक दो बहनें भारी मतों से विजयी हुई हैं, और यह जीत सिर्फ उनके नाम नहीं बल्कि एक पूरे परिवार और समाज के सपने की जीती हुई जीत है।
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दिल्ली में छात्रसंगठन चुनाव लड़ने की पृष्ठभूमि ।
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छात्रसंघ चुनावों का मैदान हमेशा गुलजार रहता है पोस्टर, रंगीन बैनर, बयानों की टकराहट। लेकिन इस बार प्रियंका एवं भारती ने प्रचार के पारंपरिक तरीके अपनाते हुए संवाद, छात्र मुद्दों और कॉलेजीन माहौल को प्राथमिकता दी। उनके समर्थकों ने कॉलेज कमेटियों में सक्रिय भागीदारी दिखाई, छात्रों के रोज़मर्रा के दोष-खामियों को उद्घाटित किया और आशा जताई कि यदि वादे निभाए तो परिवर्तन संभव है।
🏆 परिणाम और विजयी पैरामीटर
प्रियंका रानी ने मिरांडा हाउस में भारी मतों की मार से अध्यक्ष का पद जीता।
भारती रानी ने DRC कॉलेज से उपाध्यक्ष का पद प्राप्त किया है।
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यह जीत उनके परिवार को, विशेषकर उनके माता-पिता श्री बलदेव राज को गर्व का मौका है। यह संकेत है कि शिक्षा, सशक्तिकरण और सही समय पर उठायी गई पहल से लड़कियाँ भी छात्र राजनीति में नेतृत्व कर सकती हैं।
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सभी छात्रों को चुनाव का महत्व और संदेश ।
इस जीत का महत्व सिर्फ एक कॉलेज की राजनीति तक सीमित नहीं है। यह उस बदलाव की शुरुआत है जहाँ बेटियाँ अपने विचारों, अपनी आवाज़ को मानदेयता देंती हैं। कॉलेज प्रशासन, छात्रों और समाज को यह दिखाने का समय है कि लैंगिक समानता सिर्फ एक शब्द नहीं, बल्कि एक व्यवहार है।
महिला शिक्षा, छात्र सुरक्षा, जीवन-शैली सुविधाएँ, शैक्षणिक संसाधन – ये कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिन्हें प्रियंका और भारती ने लाइन में रखा। उनकी जीत से उम्मीद जगती है कि ये विषय चुनाव घोषणा-पत्रों से बाहर निकल कर क्रियान्वयन का हिस्सा बनेँगे।
इस जीत के बाद चुनौतियाँ और आगे की राह
हर चुनाव की तरह चुनौतियाँ होंगी: समर्थन जुटाना, विरोधियों की आलोचनाएँ, कॉलेज-विभागीय व्यवस्थाओं से टकराव। लेकिन इससे बड़ी सीख यह मिली है कि विकल्प, परिस्थिति और पर्याप्त समर्थन मिल जाए, तो व्यक्तिगत सफलता के साथ समाज में बदलाव संभव है।
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