उत्तरकाशी: पत्रकार राजीव प्रताप सिंह की नदी से बरामद हुई लाश — भ्रष्टाचार उजागर करने के बाद से मिल रही थीं धमकियां

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में 9 दिन से लापता स्वतंत्र पत्रकार राजीव प्रताप सिंह का शव जोशियाड़ा बैराज की झील से बरामद हुआ। राजीव प्रताप हाल ही में जिला अस्पताल की बदहाली और भ्रष्टाचार पर रिपोर्टिंग कर रहे थे। परिवार का आरोप है कि उन्हें इस वजह से लगातार धमकियां मिल रही थीं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस घटना पर दुख जताते हुए निष्पक्ष जांच के आदेश दिए हैं।
उत्तरकाशी ब्यूरो:THE ASIA PRIME
उत्तरकाशी (TAP News): उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में पत्रकारिता जगत को हिला देने वाली एक बड़ी घटना सामने आई है। स्वतंत्र पत्रकार राजीव प्रताप सिंह (आयु 36 वर्ष) का शव 9 दिन लापता रहने के बाद सोमवार को जोशियाड़ा बैराज की झील से बरामद हुआ। राजीव प्रताप “दिल्ली-उत्तराखंड लाइव” नामक डिजिटल प्लेटफॉर्म चलाते थे और हाल ही में उन्होंने जिला अस्पताल की बदहाली और भ्रष्टाचार को उजागर करने वाली रिपोर्ट तैयार की थी। परिवार और शुभचिंतकों का आरोप है कि इसी रिपोर्ट के वायरल होने के बाद उन्हें धमकियां मिलने लगी थीं।
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रात को लापता होने से लेकर शव मिलने तक का क्या है मामला।
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राजीव प्रताप 18 सितंबर की रात गंगोत्री क्षेत्र की ओर गए थे। उन्होंने अपने दोस्त से कार ली और देर रात निकल पड़े। इसके बाद वह घर नहीं लौटे। अगली सुबह उनकी कार भागीरथी नदी के पास स्यूंणा गांव से मिली, लेकिन राजीव का कोई सुराग नहीं था। परिवार और स्थानीय लोगों ने तुरंत गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। सोशल मीडिया पर भी इस घटना को लेकर चर्चा तेज हो गई थी।
कई दिनों तक SDRF और पुलिस की खोजबीन जारी रही। आखिरकार 27 सितंबर को जोशियाड़ा बैराज की झील से उनका शव बरामद हुआ। शव की पहचान उनके परिवार ने की। इस घटना ने पूरे उत्तराखंड और मीडिया जगत में शोक की लहर दौड़ा दी।
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हस्पताल में हो रहे भ्रष्टाचार पर रिपोर्टिंग की और फिर मिली धमकियां ।
राजीव प्रताप एक साहसी पत्रकार माने जाते थे। हाल ही में उन्होंने उत्तरकाशी जिला अस्पताल की खस्ताहाल स्थिति को उजागर करते हुए एक विस्तृत वीडियो रिपोर्ट बनाई थी। इसमें अस्पताल की टूटी-फूटी दीवारें, दवाओं की कमी, मरीजों की बदहाली और स्वास्थ्य सेवाओं की अव्यवस्था को विस्तार से दिखाया गया था।
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यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ। हजारों लोगों ने इसे देखा और साझा किया। इस रिपोर्ट के बाद स्थानीय प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग पर सवाल उठने लगे। आरोप है कि इसी वजह से राजीव प्रताप को लगातार धमकियां मिल रही थीं। उनकी पत्नी का कहना है कि धमकियों ने उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर डाला और वह काफी तनाव में रहने लगे थे।
परिवार की शंका है कि कत्ल किया है अब और पुलिस जांच से पता चलेगा।
परिवार का आरोप है कि राजीव प्रताप की मौत महज दुर्घटना नहीं हो सकती, बल्कि यह एक सुनियोजित साजिश है। उनका कहना है कि भ्रष्टाचार पर खुलासा करने के बाद से ही उन पर दबाव बनाया जा रहा था।
पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम कराया है और मामले की हर एंगल से जांच की जा रही है। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि कार, सीसीटीवी फुटेज, मोबाइल लोकेशन और अन्य तकनीकी साक्ष्यों को खंगाला जा रहा है।
मुख्यमंत्री धामी ने स्वत इस मामले पर संज्ञान लिया है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस घटना पर गहरा दुख जताया है। उन्होंने अधिकारियों को निष्पक्ष और पारदर्शी जांच के आदेश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।
यह घटना पत्रकारों की सुरक्षा पर सवाल खड़े करती है।
इस घटना ने एक बार फिर से पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। खासकर वे पत्रकार जो जमीनी स्तर पर भ्रष्टाचार और जनहित से जुड़े मुद्दे उठाते हैं, अक्सर दबाव और धमकियों का सामना करते हैं। राजीव प्रताप की मौत इस बात की ताजा और दर्दनाक मिसाल है।
राजीव प्रताप सिंह का जाना सिर्फ उनके परिवार ही नहीं, बल्कि पूरे समाज और पत्रकारिता जगत के लिए बड़ी क्षति है। यह घटना लोकतंत्र में स्वतंत्र मीडिया की सुरक्षा और अभिव्यक्ति की आज़ादी पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है। अब सबकी निगाहें जांच एजेंसियों पर टिकी हैं कि क्या सच सामने आता है और क्या दोषियों को सजा मिल पाती है।