राहुल गांधी का बड़ा खुलासा: ‘वोट चोरी’ पर सबूतों के साथ BJP और चुनाव आयोग पर आरोप, INDIA गठबंधन का लोकतंत्र बचाने का संकल्प

राहुल गांधी का “वोट चोरी” प्रेजेंटेशन: लोकतंत्र बचाने का #MissionDemocracy
नई दिल्ली, 8 अगस्त 2025 – भारत के नेता विपक्ष श्री राहुल गांधी ने दिल्ली में आयोजित भारत जोड़ो (INDIA) गठबंधन की उच्च स्तरीय बैठक में एक प्रभावशाली पावरपॉइंट प्रेजेंटेशन प्रस्तुत किया, जिसका शीर्षक था “Democracy Destroyed”। उन्होंने चुनाव आयोग (EC) और भाजपा के कथित जुड़ाव के जरिए 2024 के लोकसभा चुनावों में बड़े पैमाने पर “वोट चोरी” का विवरण सबूतों के साथ साझा किया।
मुख्य आरोप एवं आंकड़े
महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र (बेंगलोर सेंट्रल लोकसभा के अंतर्गत): कांग्रेस ने दावा किया कि 1,00,250 वोट फर्जी तरीके से जोड़े गए—जिसमें डुप्लिकेट वोटर, नकली पते, एक ही पते पर बड़े पैमाने पर पंजीकरण, अमान्य तस्वीरें, और Form 6 का दोहराव शामिल था।
महाराष्ट्र और हरियाणा में भी अनुमानित विसंगतियाँ: राहुल गांधी ने बताया कि महाराष्ट्र में SIR (Special Intensive Revision) के दौरान एक करोड़ “मिस्ट्री वोटर्स” जोड़े गए और चुनाव आयोग ने वोटर डेटा और CCTV फुटेज उपलब्ध नहीं कर वापसी की।
आगे की कार्रवाई: चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया
चुनाव आयोग ने आवश्यकता जताई कि राहुल गांधी अपनी आरोपों के समर्थन में एक शपथ-पत्र (declaration under oath) प्रस्तुत करें, जिसमें उन्होंने जाँच के लिए शामिल सभी नाम, पार्ट नंबर और वोटर लिस्ट शामिल होनी चाहिए। इस दस्तावेज़ में गलत जानकारी देने पर कानूनी दंड का खतरा भी शामिल है।
INDIA गठबंधन की प्रतिक्रिया और रणनीति
इस बैठक में लगभग 50 नेताओं ने हिस्सा लिया, और गठबंधन ने संकल्प लिया कि वह लोकतंत्र की रक्षा के लिए “हर कीमत पर संगठन बनाए रखेगा”।
गठबंधन ने दो कदम रणनीति तय की:
1. 11 अगस्त को निर्वाचन आयोग (EC) के पास मार्च: आरोपों को औपचारिक रूप से प्रस्तुत करने हेतु।
2. Bihar MGB यात्रा: 17 अगस्त से बिहार में यात्रा शुरू की जाएगी, जिसमें SIR और वोटर फ्रीडम जैसे मुद्दों को जनता तक पहुँचाया जाएगा।
निष्कर्ष (Conclusion)
राहुल गांधी ने “वोट चोरी” के आरोपों को मुख्य मुद्दा बनाकर, एक व्यापक लोकतांत्रिक युद्ध के सुरक्षात्मक कवच के रूप में इसे रखा है। फर्जी वोटिंग सिस्टम, डेटा की अभाव, और प्रणालीगत धाँधली की संभावना—इन सभी पर उन्होंने सार्वजनिक बहस की शुरुआत की है। इस मुद्दे की संवेदनशीलता और लोकतांत्रिक महत्व को देखते हुए आगामी जांच और राजनीतिक सरगर्मियाँ हाई-वोल्टेज का माहौल बना रही हैं।